News Delhi : सुप्रीम कोर्ट (SC) ने गुरुवार को ED यानी प्रवर्तन निदेशालय की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जाहिर की. तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (TASMAC) और राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ED ने “सारी हदें पार कर दी हैं” और वह देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है. सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने की. कोर्ट ने कहा कि जब राज्य सरकार पहले से ही मामले में कार्रवाई कर रही है, तो ED की दखलअंदाजी अनुचित है.
मामला क्या है?
मार्च 2025 में ED ने TASMAC के मुख्यालय पर छापा मारा था और कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपए की हेराफेरी से जुड़े दस्तावेज और डेटा जब्त किए थे. एजेंसी ने दावा किया था कि उसे कॉर्पोरेट पोस्टिंग, ट्रांसपोर्ट और बार लाइसेंस टेंडर से जुड़ी अनियमितताओं और शराब को तय कीमत से ज्यादा पर बेचने के सबूत मिले हैं.
कोर्ट की तीखी टिप्पणी
CJI गवई ने ED की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू से पूछा, “आप निगम के खिलाफ अपराध कैसे बना सकते हैं? आप व्यक्तियों पर केस दर्ज कर सकते हैं, लेकिन एक सरकारी निगम पर नहीं. ED सारी सीमाएं लांघ रही है.” उन्होंने आगे कहा कि जब राज्य सरकार पहले से FIR दर्ज करके जांच कर रही है, तो ED की अलग से जांच की कोई जरूरत नहीं बनती.
निजता के उल्लंघन पर चिंता
TASMAC की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि ED ने अधिकारियों के फोन और डिवाइस क्लोन कर लिए हैं, जिससे उनकी निजता का उल्लंघन हुआ है. सिब्बल ने मांग की कि ED को इस डेटा के इस्तेमाल से रोका जाए.
ED का पक्ष
ASG राजू ने अदालत को बताया कि यह मामला केवल तकनीकी अनियमितताओं का नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर धोखाधड़ी और राजनीतिक संरक्षण का है. उन्होंने कहा कि विस्तृत जवाब कोर्ट में दाखिल किया जाएगा.
कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल ED को TASMAC के खिलाफ जांच और छापेमारी से रोकते हुए अंतरिम राहत दी है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह फिलहाल ED को डेटा उपयोग पर प्रतिबंध लगाने जैसा कोई अतिरिक्त निर्देश नहीं देगी.
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