New Delhi : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज यानी बुधवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में पद की शपथ दिलाई. जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए. कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को जस्टिस गवई की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी. जिसके तहत वह 23 दिसंबर 2025 तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे. परंपरा के अनुसार निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश द्वारा वरिष्ठतम न्यायाधीश के नाम की सिफारिश की जाती है, और जस्टिस गवई इस क्रम में अग्रणी थे.
#WATCH | दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का… pic.twitter.com/rYGzYK52KP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 14, 2025
न्यायिक करियर और उपलब्धियां
जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत की शुरुआत की थी. वे नागपुर और अमरावती नगर निगमों सहित कई संस्थानों के स्थायी वकील रहे. 2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए और 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने. 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया. जस्टिस गवई कई महत्वपूर्ण संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं. 2023 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के निर्णय को सर्वसम्मति से सही ठहराया था.
ऐतिहासिक फैसले
- राजीव गांधी हत्याकांड : दोषियों की रिहाई को मंजूरी.
- वणियार आरक्षण : तमिलनाडु सरकार का आरक्षण निर्णय रद्द.
- नोटबंदी : 4:1 बहुमत से केंद्र के फैसले को वैध ठहराया.
- ईडी निदेशक का कार्यकाल : कार्यकाल विस्तार को अवैध बताया.
- बुलडोजर कार्रवाई : बिना कानूनी प्रक्रिया के संपत्ति ध्वस्त करने को असंवैधानिक कहा.
अन्य प्रमुख निर्णय
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ केस में राहत.
- सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत.
- दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता कविता को जमानत.
सामाजिक पृष्ठभूमि
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. उनके पिता आरएस गवई बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं. वे अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले देश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं, इससे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन को यह सम्मान मिला था. जस्टिस गवई का कार्यकाल भले ही छह महीने का हो, लेकिन उनके पास सुप्रीम कोर्ट में अपने अनुभव और निष्पक्ष फैसलों के माध्यम से न्यायपालिका में गहरी छाप छोड़ने का अवसर है.
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