गढ़वा: गढ़वा जिले के खरौंधी प्रखंड स्थित राजी गांव में सरकारी व्यवस्था की लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पंडा नदी पर बीते आठ वर्षों से अधूरा पड़ा पुल, सरकारी दस्तावेजों में ‘पूर्ण’ और ‘चालू’ घोषित कर दिया गया है, जबकि हकीकत में उस पुल तक पहुंचने के लिए अप्रोच रोड तक मौजूद नहीं है।
2017 में शुरू हुआ निर्माण, आज भी अधूरा
करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2017 में विशेष प्रमंडल, गढ़वा द्वारा शुरू किया गया था। वर्षों बीत जाने के बावजूद न तो पुल का कार्य पूरा हो पाया और न ही उससे जोड़ने वाली सड़क बन सकी। इसके बावजूद, विभागीय फाइलों में इसे पूरा मानते हुए ‘पूर्णता प्रमाण पत्र’ जारी कर दिया गया है, जिससे शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अप्रोच रोड नहीं, किसानों ने भूमि देने से किया इनकार
पुल से उत्तर प्रदेश की सीमा मात्र 500 मीटर की दूरी पर है, लेकिन अप्रोच रोड के अभाव में इसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा। स्थानीय किसानों का आरोप है कि उन्हें भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा नहीं मिला, जिसके कारण उन्होंने अपनी ज़मीन देने से इनकार कर दिया। इस विरोध के चलते परियोजना अधर में लटकी हुई है और ग्रामीणों का वर्षों पुराना सपना अधूरा रह गया है।
पुराने पुल से गुजरना खतरे से खाली नहीं
पंडा नदी पर पहले से बना एक जर्जर पुल बारिश के मौसम में पानी में डूब जाता है, जिससे ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। नया पुल लोगों की सुरक्षा और सुगम आवागमन के लिए आवश्यक था, लेकिन सरकारी उदासीनता ने इसे भी सिर्फ एक ‘कागजी परियोजना’ बनाकर रख दिया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता हेमंत उरांव ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, “यदि पुल को लेकर पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया है, तो पूरे मामले की गहन जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
अब देखना यह है कि जांच के बाद यह मामला केवल आश्वासनों तक सीमित रह जाता है या वाकई में गढ़वा के ग्रामीणों को इस ‘कागजी पुल’ से मुक्ति मिलती है.
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