Varanasi : देश के प्रख्यात योग गुरु और पद्मश्री सम्मानित शिवानंद का शनिवार रात निधन हो गया. 129 वर्षीय शिवानंद ने बीएचयू अस्पताल में रात 8:30 बजे अंतिम सांस ली. डॉक्टर देवाशीष ने बताया कि स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह पिछले तीन दिनों से बीएचयू में भर्ती थे. उनका पार्थिव शरीर शनिवार देर रात दुर्गाकुंड स्थित उनके आश्रम लाया गया. जहां उनके शिष्य और अनुयायियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. शिष्यों ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार आज यानी रविवार को हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा.
उनकी सादगी, योगसाधना और सेवा-भाव ने उन्हें देशभर में सम्मानित किया, और वर्ष 2022 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया था. स्वामी शिवानंद बाबा का जन्म 8 अगस्त 1896 को वर्तमान बांग्लादेश के सिलहट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था. मात्र छह वर्ष की आयु में माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने गुरु ओंकारानंद गोस्वामी के आश्रम में शरण ली और वहीं से योग, ध्यान और सेवा का मार्ग अपनाया.
उनका जीवन सादगी, अनुशासन और सेवा का प्रतीक रहा. बाबा हर दिन सुबह 3 बजे उठते थे और बांग्ला भाषा में श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करते थे. उनका आहार अत्यंत सरल और संयमित था. दिन में उबला भोजन और रात में जौ का दलिया, आलू का चोखा तथा उबली सब्जियां. वे चटाई पर सोते थे और गर्मी में भी बिना पंखा या एसी के जीवन व्यतीत करते थे.
मानव सेवा के क्षेत्र में उनका योगदान अत्यंत प्रेरणादायक रहा. बीते 50 वर्षों से उन्होंने पुरी में 400 से 600 कुष्ठ रोगियों की सेवा की. उन्हें भोजन, वस्त्र, कंबल, मच्छरदानी और रसोई का सामान वितरित कर वे सेवा को ही परम धर्म मानते थे. बाबा का मानना था कि ये लोग भगवान के रूप हैं और उनकी सेवा करना ही सच्ची भक्ति है.