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    Home»झारखंड»झारखण्ड में साइबर अपराधियों का आतंक : दस साल में 50 करोड़ की ठगी, खातों में सेंधमारी का लेते थे विशेष प्रशिक्षण
    झारखंड

    झारखण्ड में साइबर अपराधियों का आतंक : दस साल में 50 करोड़ की ठगी, खातों में सेंधमारी का लेते थे विशेष प्रशिक्षण

    Team JoharBy Team JoharJune 3, 2020No Comments4 Mins Read
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    Joharlive Team/Desk

    रांची/नई दिल्ली। आगरा रेंज साइबर सेल के इनपुट पर झारखंड के जामताड़ा में गिरफ्तार किए गए साइबर अपराधियों ने दस साल में कई राज्यों के हजारों लोगों से तकरीबन 50 करोड़ की ठगी की है। गैंग के सदस्य बैंक, इंश्योरेंस, मोबाइल, वॉलेट कंपनी का कर्मचारी बनकर लोगों को कॉल और मैसेज के माध्यम से खातों में सेंध लगाते थे। इनसे 2500 पासबुक, डेबिट कार्ड और लोगों का निजी डाटा बरामद हुआ है। अब पुलिस जांच में लगी है कि किन-किन जगह के लोगों के साथ ठगी की गई।  

    रेंज साइबर सेल प्रभारी शैलेष कुमार सिंह ने बताया देवघर साइबर सेल ने गिरफ्तार किए आरोपियों में नैमुल हक, अनवर और निजामुद्दीन मुख्य आरोपी हैं। पुलिस ने कुल 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

    मुख्य आरोपियों ने ही मथुरा के महंत कमल गोस्वामी के खाते से 24 लाख रुपये निकाले थे। यह सभी झारखंड के जामताड़ा जिले में अपना नेटवर्क चला रहे हैं। यह जिला ग्रामीण परिवेश का है। यहां पर पुलिस का मूवमेंट भी कम है। इसलिए गैंग के सदस्य आसानी से कार्य करते हैं। 

    गैंग के सदस्य साइबर अपराध करने के लिए दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद के कई सेंटर से ट्रेनिंग लेकर आते हैं। बीमा लाभ दिलाने, लॉटरी निकलने, सिम जारी कराकर, एप डाउनलोड कराकर आदि तरीके से साइबर अपराध करते हैं।

    खातों से रकम कुछ ही घंटों में निकाल लेते, जिससे पीड़ित का खाता ब्लॉक होने से पहले सारी रकम उन्हें मिल जाए। पकड़े गए आरोपियों में एक बैंक अधिकारी भी है, जो गैंग को लोगों का डाटा उपलब्ध कराता था। 

    देवघर पुलिस ने आरोपियों से बरामद सामान की सूची रेंज साइबर सेल को भेजी है। इनमें 2500 बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, करीब 800 फर्जी सिम, 300 मोबाइल हैं। गैंग दस साल से काम कर रहा है। इस तरह कई राज्यों के हजारों लोगों से तकरीबन 50 करोड़ रुपये की ठगी की आशंका है। गैंग के सदस्यों से पूछताछ की जाएगी। इसके बाद आगरा में ठगी का शिकार हुए लोगों के बारे में पता चल सकेगा। 

    मथुरा के थाना वृंदावन निवासी महंत कमल गोस्वामी ने अप्रैल में बैंक खाते से 24 लाख रुपये निकालने की शिकायत की थी। यह रकम नेट बैंकिंग से निकाली गई थी। रेंज साइबर सेल के इंस्पेक्टर शैलेष कुमार सिंह और विशाल शर्मा ने जांच की।

    कमल गोस्वामी को सिम स्वैप सॉफ्टवेयर से मोबाइल पर एक मैसेज भेजा गया था। इसमें नंबर जारी रखने को सिम अपग्रेड करने को कहा गया। कमल गोस्वामी ने सिम के पीछे लिखे 21 डिजिट का नंबर मैसेज कर दिया। अपराधियों ने फेसबुक से उनकी फोटो कापी करके फर्जी आईडी बना ली। मोबाइल कंपनी में प्रार्थना पत्र देकर उसी नंबर का दूसरा सिमकार्ड जारी कराकर नेट बैंकिंग के जरिए खाते से रकम निकाल ली। 

    कमल गोस्वामी के खाते में नेट बैंकिंग की सुविधा थी। नेट बैंकिंग के जरिये साइबर अपराधियों ने 24 लाख रुपये सात ई वॉलेट में ट्रांसफर कर लिए। मगर, वॉलेट से रकम नहीं निकल सकती थी। इसलिए पश्चिम बंगाल के वर्धमान और सिलीगुड़ी के फर्जी नाम-पते से खोले गए 11 बैंक खातों में रकम भेज दी गई। इन खातों से 14 लाख रुपये निकाल लिए गए।

    बाकी रकम देवघर के बैंक खातों में ट्रांसफर की थी। रकम को वॉलेट कंपनी के एटीएम से भी निकाला गया। बैंक और ई-वालेट के एटीएम हाई वेल्यू के होने के कारण ज्यादा रकम निकाल ली गई। साइबर सेल ने जांच की तो देवघर के तीन ई वॉलेट के बारे में पता चला। इसके बारे में देवघर की साइबर सेल को इनपुट दिया गया था। इसके बाद टीम ने कार्रवाई कर 18 आरोपियों को पकड़ लिया।  

    गैंग के सदस्य ठगी से मिलने वाली रकम का 60 फीसदी हिस्सा अपने पास रखते हैं। बाकी 40 फीसदी रकम को खाता धारक और डाटा उपलब्ध कराने वाले लोगों के लिए रखते हैं।

    #Crime news #Jharkhand News cyber crime Latest news Online news
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