Johar Live Desk : नवरात्रि, शिवरात्रि या अन्य व्रतों पर अक्सर कुट्टू की पूड़ी, पराठा या पकौड़ी खाने का रिवाज है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ कुट्टू का आटा ही क्यों खाया जाता है? क्या यह सिर्फ परंपरा है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी छुपा है? आइए, इसे एक अलग अंदाज में समझते हैं।
कुट्टू क्या है?
कुट्टू अनाज नहीं, बल्कि एक फल है, जिसे अंग्रेज़ी में बकव्हीट (Buckwheat) कहते हैं। यह एक ऐसा पौधा है, जिसके तने लाल रंग के होते हैं और इसके फल तिकोने आकार के होते हैं। इन्हें सुखाकर पीसने से कुट्टू का आटा बनता है।
कुट्टू का आटा कैसे बनता है?
जब कुट्टू के फल पूरी तरह सूख जाते हैं, तो उन्हें साफ करके अच्छी धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद इन्हें पीसकर महीन आटा बनाया जाता है, जो बाजार में आसानी से मिल जाता है।
व्रत में कुट्टू क्यों?
- धार्मिक मान्यता: व्रत के दौरान अनाज नहीं खाया जाता, कुट्टू फल होने के कारण इसे व्रत में खाने की अनुमति है।
- ग्लूटेन-फ्री: कुट्टू में ग्लूटेन नहीं होता, इसलिए यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जो ग्लूटेन से परहेज करते हैं।
- ऊर्जा का अच्छा स्रोत: इसमें कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो शरीर को ऊर्जा देते हैं और भूख को लंबे समय तक रोकते हैं।
- पोषक तत्वों से भरपूर: कुट्टू में प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन B कॉम्प्लेक्स जैसे तत्व होते हैं जो सेहत के लिए लाभकारी हैं।
- पाचन में सहायक: इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और व्रत के दौरान पेट को हल्का रखता है।
इसलिए कुट्टू का आटा व्रत के समय न केवल परंपरागत रूप से बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी सबसे उपयुक्त माना जाता है। अगली बार जब आप व्रत करें, तो कुट्टू की रेसिपी जरूर आजमाएं और सेहत का भी ख्याल रखें।