भ्रष्टाचार की शिकायतें कौन सुनेगा, ढाई साल गुजर गए, न सूचना आयुक्त न लोकायुक्त

रवि

रांची : झारखंड में आम जन के लिए यह हाल हो गया है कि कौन सुनेगा, किसको सुनाऊं. खासकर भ्रष्टाचार की शिकायतें कौन सुनेगा. न सूचना आयुक्त है न लोकायुक्त. ढाई साल गुजर गए गए, लेकिन इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई है. लोकायुक्त का पद लगभग ढाई साल से खाली पड़ा हुआ है. वहीं, इतने ही समय से सूचना आयुक्त भी नहीं हैं.

सूचना आयोग में 9000 मामले लंबित

आठ मई 2020 को सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी का कार्यकाल पूरा हुआ था. इसके बाद से अब तक सूचना आयुक्त का पद खाली है. झारखंड में एक मुख्य सूचना आयुक्त सहित छह आयुक्तों का सूचना आयोग में प्रावधान है. अब तक सूचना आयोग में लगभग 9000 मामले लंबित हो गए हैं.  बताते चलें कि जनवरी 2020 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर नियुक्ति का विज्ञापन निकाला था. करीब 417 आवेदन प्राप्त हुए थे. आवेदन मंगाने के तकरीबन ढाई साल बाद भी नियुक्ति के मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हो पाई है.

यहां फंसा है पेंच

दरअसल, सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जरूरी तीन सदस्यों वाली चयन समिति में सीएम के अलावा नेता प्रतिपक्ष भी होते हैं. विपक्ष के नेता का पद कानूनी पचड़े में फंसा हुआ है. बाबूलाल मरांडी को बीजेपी विधायकों ने अपना नेता तो चुन लिया, लेकिन दल-बदल में उनका मामला फंस गया है. स्पीकर ने उनके मामले में अब तक फैसला नहीं सुनाया है. इस मामले को लेकर बाबूलाल मरांडी हाईकोर्ट गए हैं. वहां से भी अब तक कोई निर्णय नहीं आया है. सरकार ने इसके लिए एक रास्ता निकाला कि मुख्य विपक्षी दल के सीनियर मेंबर को साथ लिया जा सकता है, लेकिन विपक्ष की ओर से सहमति नहीं बनी. इस तरह सूचना आयुक्तों की नियुक्ति फंस गई.

417 लोगों ने दिया है आवेदन

अब तक कुल 417 लोगों ने आवेदन दिया है. सूचना आयुक्त के लिए 354 और मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 63 लोगों ने आवेदन किया है. इसमें हर कैटेगरी के लोग शामिल हैं. इसलिए सूचना आयुक्त की कुर्सी को हॉट केक माना जा रहा है. आवेदन देने वालों में विनय चतुर्वेदी, श्याम किशोर चौबे, संजय मिश्रा, चंदन मिश्रा, सुमन कुमार श्रीवास्तव, धर्मवीर सिन्हा, राजदेव पांडेय, धनंजय भारती, विष्णु राजगढि़या, पीसी झा, ओमप्रकाश अश्क, उमापद महतो, मनीष मेहता, संजय कुमार सिंह, आनंद कुमार, अशोक कुमार, कृष्ण बिहारी मिश्रा, सुधीर कुमार सिंह, अशोक नाग, अमरेंद्र कुमार, दीपक कुमार, सुचित्रा झा, प्रवीण प्रभाकर, गौरीशंकर मिंज, प्रेम कुमार, पांडेय रजनीकांत सिन्हाह, दीपांकर पांडा, राजेश इमानुएल पात्रो, विनोद चंद्र झा, बिरसाई उरांव, आनंद मिश्रा, विनोद शंकर मिश्र, फिदेलिस टोप्पो, मीणा ठाकुर, अशोक कुमार सिंह, राजकुमार, एलआर सिंह, रामाकांत सिंह, विनोद कुमार, कीर्ति सिंह, जगजीत सिंह, भगवान झा, मनोरंजन सिंह के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं. सूचना आयुक्त के लिए 353 लोगों ने आवेदन दिया है.

लोकायुक्त का पद भी ढाई साल से खाली

लोकसेवकों के भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति राज्य सरकार करती है. झारखंड में भी लोकायुक्त बहाल होते रहे हैं. अब तक तीन लोकायुक्त समय-समय पर झारखंड में नियुक्त हुए. अंतिम लोकायुक्त रिटायर्ड जस्टिस डीएन उपाध्याय थे. हालांकि, दूसरे राज्यों की तरह झारखंड के लोकायुक्त को कुर्की, छापेमारी, सर्च वारंट जारी करने जैसे अधिकार नहीं दिए गए. जून 2021 में तत्कालीन लोकायुक्त ने अस्वस्थता के कारण अपना दायित्व सचिव को सौंप दिया. उसी साल बाद में उनका निधन हो गया.