Johar Live Desk : 21 मार्च 2025 को मनाया जाने वाला विश्व वानिकी दिवस, जिसे अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष “वन और भोजन” के महत्व को उजागर करेगा. इस दिन वनों के जीवनदायिनी योगदान और उनकी खाद्य सुरक्षा, पोषण, और कृषि में भूमिका पर ध्यान केंद्रित करेगा. संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में इस दिन को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी थी, और तब से यह दिन वन संरक्षण और वनों के महत्व को समझाने के लिए महत्वपूर्ण आयोजन बन गया है.
वर्ष 2025 का विषय : “Forests and Food”
इस वर्ष का विषय वनों की खाद्य प्रणालियों में अहम भूमिका को रेखांकित करता है. जो न केवल भोजन प्रदान करते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन, जल सुरक्षा और जैव विविधता को बनाए रखने में भी मदद करते हैं. खाद्य सुरक्षा, आय और रोजगार के अवसर, साथ ही जल और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के संदर्भ में वनों का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इस विषय के माध्यम से, नीति निर्माताओं से आग्रह किया जाएगा कि वे जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, वनों के संरक्षण को अपनी नीतियों का हिस्सा बनाएं.
भारत में वानिकी का महत्व
भारत में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए आवश्यक हैं. भारत में कुल भूमि क्षेत्र का 21.71% हिस्सा वन आच्छादित है. जिसमें विविध प्रकार के वनों का समावेश है. वनों की वृद्धि और संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चल रही हैं, जैसे हरित भारत मिशन और राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम. भारत के वनों में 7,285.5 मिलियन टन कार्बन संग्रहीत है, जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक है.
विश्व वानिकी दिवस का उद्देश्य
विश्व वानिकी दिवस का उद्देश्य वनों के संरक्षण, वनीकरण, और टिकाऊ प्रबंधन को बढ़ावा देना है. आज का दिन हमें यह याद दिलाता है कि वनों के बिना खाद्य सुरक्षा, जलवायु स्थिरता और जैव विविधता की कल्पना भी नहीं की जा सकती. हमें यह भी प्रेरित करता है कि हम सभी मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाएं. विश्व वानिकी दिवस 2025, वनों के महत्व और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है.
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