New Delhi : सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बिहार में SIR (वोटर वेरिफिकेशन) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इससे पहले 8 सितंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि आधार कार्ड पहचान का प्रमाण है, न कि नागरिकता का।
चुनाव आयोग को कोर्ट का निर्देश
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वोटर की पहचान के लिए आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए। बिहार SIR के लिए अभी 11 दस्तावेज निर्धारित हैं, जिन्हें मतदाताओं को अपने फॉर्म के साथ जमा करना होता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार कार्ड को लेकर कोई शंका हो तो आयोग इसकी जांच कराए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल वास्तविक नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार होगा और फर्जी दस्तावेजों वालों को मतदाता सूची से हटाया जाएगा।
आधार स्वीकार करने वाले अधिकारियों को नोटिस
8 सितंबर की सुनवाई में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि 10 जुलाई को कोर्ट ने आधार कार्ड स्वीकार करने का निर्देश दिया था, लेकिन 65 लाख लोगों के आधार अभी भी स्वीकार नहीं किए जा रहे। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग 11 निर्धारित दस्तावेजों के अलावा आधार स्वीकार करने वाले बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) को कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा है। इस पर कोर्ट ने आयोग से नोटिस पेश करने को कहा, लेकिन आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि उनके पास नोटिस नहीं हैं। कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि ये आयोग के ही दस्तावेज हैं, जिन पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी के हस्ताक्षर हैं।
आज होगी अगली सुनवाई
इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में आज (15 सितंबर) को अगली सुनवाई होगी, जिसमें इस मुद्दे पर और चर्चा होने की उम्मीद है।
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