Ranchi : राजधानी के ऐतिहासिक दुर्गाबाड़ी में दशकों से चली आ रही परंपरा के तहत इस वर्ष भी विजयादशमी के अवसर पर मां दुर्गा की विदाई के समय भव्य सिंदूर खेला का आयोजन किया गया। इस खास मौके पर सुहागिन महिलाओं ने मां अंबे के चरणों में सिंदूर अर्पित किया और फिर एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर परंपरा का निर्वहन किया। दुर्गाबाड़ी में होने वाली पूजा-अर्चना हमेशा से अपने अनुशासन और परंपराओं के लिए जानी जाती है। यहां हर रस्म पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ निभाई जाती है। दशकों से यहां दुर्गा पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति के मेल का प्रतीक मानी जाती है।
बंगाली समुदाय की खास परंपरा
विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला बंगाली समुदाय की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा मानी जाती है। विवाहित महिलाएं इस दिन लाल बनारसी साड़ी पहनकर, माथे पर बड़ी बिंदी सजाकर और थाली में सिंदूर व मिठाई लेकर मां दुर्गा के चरणों में जाती हैं। पहले मां को सिंदूर अर्पित करती हैं और फिर एक-दूसरे को लगाती हैं। मान्यता है कि यह रस्म पतियों की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए शुभ होती है।
अब सबकी भागीदारी
पहले यह परंपरा केवल बंगाली समुदाय तक सीमित थी, लेकिन अब इसमें अन्य समुदाय की महिलाएं भी उत्साह से शामिल होने लगी हैं। यही वजह है कि दुर्गाबाड़ी का सिंदूर खेला अब केवल एक रस्म नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है।

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