Patna : पटना के रविन्द्र भवन में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। इस अवसर पर बिहार के सभी प्रधानाध्यापकों ने संस्कृत विषय पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) एस सिद्धार्थ ने किया। इस दौरान संस्कृत बोर्ड की नई वेबसाइट और पोर्टल का भी शुभारंभ हुआ।
शिक्षकों ने उठाईं समस्याएं, रखी मांगें
समारोह में संस्कृत शिक्षकों ने ACS के सामने अपनी समस्याएं रखीं। शिक्षकों ने मांग की कि संस्कृत विद्यालयों को सभी सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि सामान्य विद्यालयों की तरह इनका भी विकास हो सके। उन्होंने बताया कि बच्चों को किताबें नहीं मिलतीं, आधारभूत संरचनाओं का अभाव है और संस्कृत विद्यालयों को विकास योजनाओं से अलग रखा गया है। शिक्षकों ने यह भी मांग की कि संस्कृत शिक्षकों को पेंशन दी जाए ताकि रिटायरमेंट के बाद उनका जीवन सुरक्षित हो। इसके अलावा, बारहवीं में टॉप करने वाले संस्कृत के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिलती, जिसके कारण छात्र इस विषय को पढ़ने से हतोत्साहित होते हैं। शिक्षकों ने सभी संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर की व्यवस्था और वेतन वृद्धि के विकल्प को बहाल करने की भी मांग की।
38 जिलों में शुरू होंगे संस्कृत विद्यालय
ACS एस सिद्धार्थ ने कहा कि इस आयोजन ने उन्हें संस्कृत विद्यालयों की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर दिया। उन्होंने संस्कृत को सबसे प्राचीन भाषा बताते हुए कहा कि इन विद्यालयों का संचालन अन्य विद्यालयों से अलग है। शिक्षकों द्वारा बताई गई समस्याओं पर ध्यान देने और सुधार करने का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि पहले चरण में बिहार के सभी 38 जिलों में संस्कृत विद्यालयों का संचालन शुरू किया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि संस्कृत विद्यालयों को आकर्षक बनाया जाएगा ताकि छात्र इस विषय में रुचि लें और भविष्य में नौकरी के अवसर प्राप्त कर सकें।
डिजिटल सुविधाओं को बढ़ावा
संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल संस्कृत भाषा और साहित्य के महत्व को उजागर करना है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में डिजिटल सुविधाओं को सशक्त बनाना भी है। नई वेबसाइट और पोर्टल के माध्यम से स्कूलों और प्रधानाध्यापकों को ऑनलाइन सेवाओं और जानकारी तक आसान पहुंच मिलेगी।
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