Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के प्राइवेट स्कूलों को बड़ी राहत दी है। मिली जानकारी के अनुसार अब प्राइवेट स्कूलों को संबद्धता Affiliation) के लिए हर साल फीस नहीं देनी होगी। यह फैसला झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन और अन्य निजी स्कूल संस्थाओं द्वारा दायर याचिका पर सुनाया गया है।
क्या था मामला?
प्राइवेट स्कूलों ने राइट टू एजुकेशन एक्ट 2019 के तहत राज्य सरकार के बनाए तीन नियमों को कोर्ट में चुनौती दी थी।
इनमें प्रमुख रूप से क्लास 1 से 5 तक हर साल ₹12,500 और क्लास 1 से 8 तक हर साल ₹25,000 की फीस संबद्धता के लिए स्कूलों से वसूलने का प्रावधान है। जिसपर कोर्ट ने हर साल फीस लेने के नियम को असंवैधानिक बताते हुए इसे खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। जहां वकील सुमित गाड़ोदिया ने प्राइवेट स्कूलों की ओर से और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा।
जमीन संबंधी नियमों पर क्या कहा कोर्ट ने?
वहीं जमीन संबंधी नियमों पर कोर्ट ने ग्रामीण प्राइवेट स्कूलों के लिए 60 डिसमिल और शहरी स्कूलों के लिए 40 डिसमिल जमीन रखने के नियम को वाजिब माना है। हालांकि, कोर्ट ने इन नियमों को लागू करने के लिए 6 महीने की मोहलत दी है।
संबद्धता समिति पर भी निर्देश:
कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों की संबद्धता के लिए बनी बड़ी समिति को छोटा किया जाए। अब यह समिति केवल 8 सदस्यों तक ही सीमित रहेगी। इसमें विधायक, सांसद सहित अन्य जनप्रतिनिधियों की संख्या घटाई जाएगी।
इस फैसले से झारखंड के हजारों प्राइवेट स्कूलों को राहत मिली है। अब उन्हें हर साल संबद्धता फीस नहीं देनी होगी, जिससे उन पर आर्थिक बोझ कम होगा। हालांकि, जमीन के नियम और समिति की संरचना में बदलाव के लिए तय समयसीमा में कार्रवाई करनी होगी।
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