Gaya : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 7 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। 17 दिनों तक चलने वाले इस मेले का उद्घाटन बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा करेंगे। देश-विदेश से 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान करेंगे।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं
जिला प्रशासन ने मेले के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए टेंट सिटी बनाई गई है, जिसमें 2500 लोगों की क्षमता है। टेंट सिटी में फैन, कूलर, शौचालय, पेयजल और मुफ्त भोजन की व्यवस्था है। आधार कार्ड दिखाकर बेड बुक किए जा सकते हैं। इसके अलावा, 60 सरकारी आवास स्थलों पर 18,000 लोग रुक सकते हैं। पंडा धर्मशालाओं और निजी घरों में भी ठहरने की व्यवस्था है। सामान्य होटलों का किराया 1200-1500 रुपये और एसी डबल बेड का किराया 3000 रुपये है। बोधगया मठ में 2500 तीर्थयात्रियों के लिए जगह है।
हाईटेक और अन्य सुविधाएं
मेले में 54 वेदी स्थलों पर वाटरप्रूफ पंडाल बनाए गए हैं, जहां एक बार में 20-25 हजार लोग पिंडदान कर सकते हैं। हर घाट पर पानी, रोशनी, चिकित्सा और पुलिस की सुविधा है। 10 सुपरमार्केट टेंट सिटी से जोड़े गए हैं, जहां श्रद्धालु जरूरी सामान खरीद सकते हैं। इस्कान मंदिर द्वारा रोज 2000 लोगों को मुफ्त भोजन दिया जाएगा। विदेशी श्रद्धालुओं के लिए गाइड और अनुवादक की व्यवस्था है। पर्यटन विभाग हर शाम फल्गु नदी के तट पर भव्य महाआरती का आयोजन करेगा।
सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था
सुरक्षा के लिए 6000 पुलिसकर्मी, अश्व पुलिस, बीएसएफ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ तैनात होंगे। मेला क्षेत्र को 43 जोन और 339 सेक्टर में बांटा गया है, जहां ड्रोन और वॉच टावर से निगरानी होगी। 102 स्वास्थ्य शिविर और 80 हेल्थ सेंटर बनाए गए हैं, जिसमें 2 डॉक्टर, नर्स और वार्ड बॉय हर वेदी पर मौजूद रहेंगे। प्रमुख अस्पतालों में 70 बेड आरक्षित हैं।
यातायात और परिवहन
गया पहुंचने के लिए रेल, हवाई और सड़क मार्ग उपलब्ध हैं। गया एयरपोर्ट से दिल्ली और कोलकाता के लिए रोज 2-2 फ्लाइट हैं। पटना से 6 ट्रेनें और झारखंड, बंगाल, कोलकाता, आसनसोल, सिलिगुड़ी से बसें चलती हैं। पुनपुन घाट और अनुग्रह नारायण स्नान घाट पर ट्रेनों का अस्थायी ठहराव होगा। सड़क मार्ग से आने वालों के लिए एनएच-2 से डोभी या शेरघाटी के रास्ते प्रवेश हो सकता है। वाहनों के लिए गया कॉलेज खेल परिसर में पार्किंग की व्यवस्था है। चांदचौरा मोड़ के आगे वाहनों की अनुमति नहीं है, सिवाय राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के वाहनों के।
पितृपक्ष की परंपरा
विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष पंडा शंभू लाल बिट्ठल के अनुसार, गया में पिंडदान की परंपरा प्राचीन है। मान्यता है कि गयासुर नामक राक्षस को भगवान विष्णु ने यहीं मुक्ति दी थी। उसने वर मांगा था कि इस स्थान पर पितरों के लिए पिंडदान से मोक्ष मिले। नारद पुराण और वायु पुराण में भी गया का महत्व बताया गया है। गया में पिंडदान से पितरों को मोक्ष और शांति मिलती है।
ई-पिंडदान और टूर पैकेज
जो लोग गया नहीं आ सकते, उनके लिए 24,000 रुपये का ई-पिंडदान पैकेज है, जिसमें पूजा सामग्री, दान, दक्षिणा और भोजन शामिल है। बीएसटीडीसी ने 16,000 से 39,500 रुपये के टूर पैकेज लॉन्च किए हैं, जिसमें पुनपुन, गया, राजगीर और नालंदा की यात्रा शामिल है। पिंडदान गया मोबाइल ऐप भी उपलब्ध है।
मेले का महत्व
गया का पितृपक्ष मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हजारों साल पुरानी सनातन परंपरा का प्रतीक है। यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलने का विश्वास है। मेला क्षेत्र में साफ-सफाई के लिए 25 से अधिक सफाई कर्मी और 23 सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। नगर निगम तीन शिफ्टों में सफाई और रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित कर रहा है।
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