‘पेटा’ मेंबर ने लोगों से की अपील, होली पर जानवरों को परेशान न करें

रांची : होली में अब महज दो दिन बचे है. होली मिलन का दौर शुरू हो चुका है. लेकिन त्योहार मनाने में लोग इतने मशगूल है कि आसपास की चीजें दिखाई नहीं दे रही. जाने-अनजाने वे अपने आसपास में पालतू जानवर या रोड पर घूमने वाले जानवरों पर रंग-गुलाल डाल दे रहे है. जिससे कि जानवर परेशान हो रहे है. जानवरों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा के सदस्य ज्योति शर्मा ने राज्य के लोगों से अपील की है कि वे रंगों का त्योहार मनाएं लेकिन जानवरों को परेशान करें. आइए जानते है उनसे कि किस तरह से रंगों से उन्हें भी नुकसान होता है.

साथ ही उन्होंने कहा कि जब हम होली के दौरान मौज-मस्ती करें, उस समय अपने पशु मित्रों के प्रति भी दयालु होना न भूलें. रेजीडेंशियल सोसाइटी या बाहर होली समारोहों को इस तरह से आयोजित करते हैं, जिससे आसपास रहने वाले किसी भी जानवर को नुकसान न पहुंचे. इससे सीख लेनी चाहिए कि किसी भी जानवर पर मौज-मस्ती के लिए रंग और गुलाल न डाला जाए. त्योहार उन क्षेत्रों में मनाया जाए जहां पर जानवर न हों. अगर हो भी तो उन्हें बिना नुकसान पहुंचाए काम हो सकता है.

इन बातों का रखें ध्यान

  • अगर जानवर इसे खा लें या यह उनकी आंखों या त्वचा पर चला जाए तो यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है.
  • जानवरों में त्वचा की एलर्जी और अंधापन भी हो सकता है.
  • गुलाल नाक में जाने पर नाक में जलन हो सकती है, और यहाँ तक कि सांस संबंधित बीमारी भी हो सकती है.
  • कुत्ते और अन्य जानवर खुद को साफ करने के लिए अपने शरीर को चाटते भी हैं, जिससे वे अनजाने में होली के रंगों को निगल जाते हैं और कई बार यह उनके लिए जहरीली साबित होती है.
  • बच्चों को जानवरों का ध्यान रखने की सलाह दें जिससे वे अपने होली के उत्साह में गलती से जानवरों को परेशान न करें.
  • जानवरों पर पानी के गुब्बारे फेंकने से रोकें.
  • अगर आपका पालतू जानवर या आपके पड़ोस में कोई कुत्ता होली के रंगों में रंग जाता है, तो उसे धोने के लिए पालतू जानवरों के लिए उपयोग किए जाने वाले शैम्पू का उपयोग करें।
  • अपने कुत्ते के फर से रंग या सख्त पेंट हटाने के लिए मिट्टी के तेल या स्प्रिट का उपयोग न करें
  • अगर कुत्ते के चेहरे पर पानी के गुब्बारे से वार किया गया है या रंग और गुलाल उसकी आंखों, नाक या मुंह में चला गया है तो उसे साफ पानी से सावधानीपूर्वक धोएं.
  • जांच के लिए पशु चिकित्सक के पास ले जाएं.

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