Jamshedpur : जमशेदपुर जिले में सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित श्रमिकों और मृत श्रमिकों के परिजनों को मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर ओशाज इंडिया (ओक्युपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ एसोसिएशन ऑफ झारखंड) ने शुक्रवार को DC कर्ण सत्यार्थी को ज्ञापन सौंपा।
महासचिव समीत कुमार कार के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि जिले के रैमिंग मास उद्योगों में काम कर रहे श्रमिकों में से 1000 से अधिक की मौत सिलिकोसिस से हो चुकी है, लेकिन अब तक ज्यादातर मामलों में कोई मुआवजा नहीं मिला है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि मुसाबनी, डुमरिया, धालभूमगढ़ और गुड़ाबांदा ब्लॉकों के सिलिकोसिस पीड़ितों की पहचान की प्रक्रिया को तेज किया जाए। संस्था के पास पीड़ितों के सिलिकोसिस पीड़ित, ओशाज इंडिया, पूर्वी सिंहभूम, झारखंड समाचार, श्रमिक मुआवजा, समीत कुमार कार, रैमिंग मास उद्योग, मुसाबनी, डुमरिया, धालभूमगढ़, गुड़ाबांदा, एमजीएम अस्पताल, श्रमिक अधिकार, झारखंड प्रशासन, एक्स-रे रिकॉर्ड, स्वास्थ्य सुरक्षा, श्रमिक कल्याण, झारखंड हाई कोर्ट, सिलिकोसिस बीमारी, श्रमिक संगठन, सामाजिक न्यायएक्स-रे प्लेट्स का डिजिटल आर्काइव और पेशागत इतिहास की जानकारी मौजूद है, जिसे प्रशासन की अनुमति मिलने पर एमजीएम अस्पताल को भेजा जा सकता है, ताकि जांच की प्रक्रिया आसान हो।
समीत कुमार कार ने बताया कि संगठन ने अब तक 176 मृत श्रमिकों की पहचान की है, लेकिन केवल 37 के परिजनों को ही मुआवजा मिला है। वहीं 721 जीवित पीड़ित परिवार अभी तक मुआवजे से वंचित हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि 2014 में मुसाबनी ब्लॉक में सरकारी डॉक्टरों ने 27 लोगों को सिलिकोसिस पीड़ित घोषित किया था, पर सिर्फ 5 को ही मुआवजा मिला। इसी तरह, 2019 में डुमरिया और धालभूमगढ़ के 8-8 श्रमिकों को सिलिकोसिस पीड़ित माना गया था, लेकिन उन्हें भी आज तक कोई सहायता नहीं मिली।
ज्ञापन सौंपने वालों में महासचिव समीत कार के अलावा रोशनी हेंब्रम, सरस्वती मुर्मू, राजश्री पांडेय और सुरेश राजवार भी शामिल थे।ओशाज इंडिया ने प्रशासन से मांग की है कि सभी पीड़ितों और उनके परिजनों को शीघ्र मुआवजा दिया जाए और पहचान की प्रक्रिया को तेज किया जाए, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।
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