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    Home»झारखंड»राज्यपाल के द्वारा तीनों विधेयक को वापस किए जाने पर जेएमएम ने कहा- राजभवन पहले विधानसभा को भेजे संदेश
    झारखंड

    राज्यपाल के द्वारा तीनों विधेयक को वापस किए जाने पर जेएमएम ने कहा- राजभवन पहले विधानसभा को भेजे संदेश

    Team JoharBy Team JoharJuly 28, 2023No Comments3 Mins Read
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    रांची : झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल द्वारा स्थानीय नीति, मॉब लिंचिंग और ओबीसी आरक्षण विधेयक को वापस किये जाने को लेकर गुरुवार को जेएमएम ने अपना पक्ष रखा। झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 एवं झारखण्ड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम-98 (1) के तहत जो भी विधेयक विधानसभा से पारित होता है वो विधेयक विधानसभा का प्रॉपर्टी होता है। वो विधेयक राज्यपाल के अनुशंसा के लिए विधानसभा सचिवालय के द्वारा भेजा जाता है। ये सिर्फ झारखंड ही नहीं पूरे देश के राज्यों के लिए यही नियम है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 ये साफ कहता है कि जो विधायक कार्य होंगे उसकी जो अनुमति है वो राज्यपाल और राष्ट्रपति के द्वारा निर्णय ली जाती है।

    राज्यपाल अपना संदेश पहले विधानसभा को भेजे

    सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल ने स्थानीय व्यक्तियों की झारखण्ड परिभाषा और ऐसे स्थानीय व्यक्तियों को परिणामी, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए विधेयक, 2022, भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, 2021 एवं पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत करने संबंधी विधेयक को वापस कर दिया। जबकि संवैधानिक कर्तव्य यह है कि राज्यपाल अपने संदेश को भेजे। या उसकी जो असहमति है उसे सरकार को नहीं, विधानसभा को बताएं।

    क्योंकि विधेयक विधानसभा की परिसंपत्ति है। लेकिन ये तो सीधा-सीधा टकराहट है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि राजभवन का जो सचिवालय है वहां पर कौन लोग बैठे हुएं हैं? कौन इसको इस रास्ते की ओर ले जा रहा है? मॉब लिंचिंग पर जब हमारी बातें आती है राज्यपाल को परेशानी हो जाती है। जब हम खतियान अधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण की बात करते हैं तो इनके पेट में दर्द होने लगता है।

    बीजेपी के इशारे पर राजभवन कर रही है कार्य

    उन्होंने कहा कि सरकार की ये दृढ़ इच्छा है कि जनता की जो आकांक्षा है उसको इस मॉनसून सत्र में फिर से लाया जाए। ये जरूरी है कि विधानसभा सचिवालय को राजभवन का संदेश आए। नहीं तो हम सीधे तौर पर समझेंगे कि बीजेपी के इशारे पर तीन विधेयक को रोकने के लिए राजभवन जानबूझकर कर रहा है।

    संविधान से ऊपर नहीं होते राज्यपाल

    उन्होंने पूछा कि क्या राज्यपाल संविधान से ऊपर हो गए हैं। जब तत्कालीन राज्यपाल और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को परंपरा याद है तो उनको क्यों नहीं याद है। राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि जिला और टोला में आप घूमने का काम कर रहे हैं। यह आरोप नहीं बल्कि सत्यता है कि आप सरकार को अस्थिरता की ओर ले जाने के लिए जनहित में कार्य न हो इसलिए हर दिन एक कार्य योजना तय करते हैं और उसको क्रियान्वित करते हैं। यदि मॉनसून सत्र में यह संभव नहीं हो पाया तो यह दुर्भाग्य होगा।

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