Ranchi/New Delhi : राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने झारखंड के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर के रैंप विवाद से जुड़ी सुनवाई के लिए आयोग की ओर से पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार, उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री और नगर निगम प्रशासक संदीप सिंह को 30 मई को आयोग के दिल्ली कार्यालय में उपस्थित होने के लिए समन भेजा गया था। लेकिन कोई भी अधिकारी आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ।
पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार ने 28 मई को आयोग के सचिव को ई-मेल कर पूर्व निर्धारित सरकारी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए असमर्थता जताई। उन्होंने बताया कि 29-30 मई को 16वें वित्त आयोग के पदाधिकारियों का राज्य दौरा है, जिसमें उनकी उपस्थिति अनिवार्य है। साथ ही 2 जून को एसडीजी पर कार्यशाला और जून के पहले सप्ताह में झारखंड हाई कोर्ट की बैठकें प्रस्तावित हैं। इसलिए उन्होंने आयोग से 10 जून के बाद की नई तिथि तय करने का अनुरोध किया।
डॉ. आशा लकड़ा ने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एक संवैधानिक संस्था है और झारखंड के अधिकारी इसकी गरिमा को समझें। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज से जुड़े 1300 से ज्यादा मामले आयोग के पास लंबित हैं, जो दर्शाता है कि राज्य में अधिकारियों द्वारा आदिवासी मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
गौरतलब है कि पूर्व में आयोग ने 13 मई को मामले पर बैठक तय की थी, लेकिन एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने इसे रद्द कर दिया। इसके बाद आयोग ने मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में आदिवासी बुद्धिजीवियों से बातचीत कर जानकारी जुटाई। अब आयोग की टीम 3 जून को सुबह 10 बजे सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर निर्माण स्थल का निरीक्षण करेगी। इसके बाद मुख्य सचिव और संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। अधिकारियों को निरीक्षण के समय उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।
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