Hazaribagh : हजारीबाग जिला के मुफ्फसिल थानेदार कुणाल किशोर ने एक ऐसी गाय को नया जीवन दिया, जिसे लोग ‘बेकार’ समझकर कसाई को बेच चुके थे। एक साल पहले, गश्त के दौरान कुणाल की नजर एक कमजोर, बीमार और लाचार गाय पर पड़ी। स्थानीय लोगों ने बताया कि उसे ‘नट्ठा’ कहकर, यानी निःसंतान समझकर, कसाई को दे दिया गया था। कुणाल ने तुरंत गाय को बचाया और हजारीबाग गौशाला भेजा। वहां गाय को नया नाम मिला ‘नंदनी’।
नई उम्मीद, नया जीवन
नंदनी की हालत बहुत खराब थी। कंकाल जैसा शरीर, धंसी आंखें और कोई उम्मीद नहीं। गौशाला प्रबंधक योगेंद्र मिश्रा को भी लगा कि शायद वह ठीक न हो। लेकिन कुणाल ने हार नहीं मानी। उन्होंने नंदनी को गोद लिया और उसका इलाज शुरू कराया। 10,000 रुपये की मदद से नंदनी सहित तीन गायों का आयुर्वेदिक इलाज हुआ। धीरे-धीरे नंदनी स्वस्थ होने लगी। उसकी आंखों में चमक लौटी और चमत्कार हुआ, वह गर्भवती हो गई।
नंदनी बनी मां, थाना-गौशाला में खुशी
एक दिन नंदनी ने एक स्वस्थ बछड़े को जन्म दिया। यह खबर सुनते ही कुणाल किशोर का दिल खुशी से भर गया। उन्होंने थाना और गौशाला में मिठाइयां बंटवाकर जश्न मनाया। नंदनी के लिए खास चारा और देखभाल का इंतजाम किया गया। कुणाल ने वादा किया कि वह जल्द ही परिवार के साथ गौशाला में पूजा करने आएंगे।
प्रेरणा बनी नंदनी
नंदनी की कहानी सिर्फ एक गाय की नहीं, बल्कि प्रेम और देखभाल की ताकत की कहानी है। गौशाला ने लोगों से अपील की है कि वे एक गाय को गोद लें। यह छोटी सी कोशिश किसी के जीवन को बदल सकती है। ‘नट्ठा’ से ‘नंदनी’ तक की यह यात्रा साबित करती है कि हर जीव में जीवन की संभावना होती है, बस उसे प्यार और मौका चाहिए।
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