खतरनाक साजिश- ड्रोन का इस्तेमाल कर सुरक्षाबलों की रेकी कर रहे माओवादी

रांची। झारखंड में भाकपा माओवादियों ने सुरक्षाबलों को टारगेट करने का नया तरीका इजाद किया है। नक्सली संगठन के द्वारा पहली बार ड्रोन के जरिए सुरक्षाबलों की गतिविधियों के साथ साथ पुलिस पिकेट और कैंप की रेकी की जा रही है। ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी के बाद राज्य पुलिस की विशेष शाखा ने सभी जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र लिखा है। ऐसा पहली बार है जब उग्रवादी संगठन के द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की पुख्ता जानकारी मिली है। राज्य पुलिस की विशेष शाखा को ड्रोन इस्तेमाल की जानकारी फोन लिसनिंग समेत अन्य गोपनीय सूचनाओं से मिली थी। जिसके बाद विशेष शाखा ने 9 जुलाई को ही राज्य के नक्सल प्रभाव वाले 22 जिलों के एसपी को इस संबंध में पत्र भेजा है। विशेष शाखा ने अभियान में शामिल सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन को भी आगाह किया है। राज्य पुलिस की विशेष शाखा के द्वारा सभी उग्रवादी प्रभावित जिलों के एसपी को भेजे पत्र में जिक्र है कि माओवादी संगठन के द्वारा नई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। भाकपा माओवादियों द्वारा ड्रोन से नक्सल विरोधी अभियान और समान्य गश्ती की जानकारी जुटायी जा सकती है। वहीं माओवादी सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठान, कैंप की रेकी के लिए भी ड्रोन को प्रयोग में लाने की योजना बनायी गई है।
नेत्रा है निशाने पर
झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ के द्वारा नक्सल विरोधी अभियान के पहले नक्सलियों की रेकी और उनकी मौजूदगी की जानकारी के लिए नेत्रा का इस्तेमाल किया जाता है। नेत्रा को झारखंड पुलिस अनमैन्ड एरियल वेहिकल के तौर पर इस्तेमाल करती है। पुलिस के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, नेत्रा को भाकपा माओवादियों के द्वारा निशाना बनाए जाने की योजना है। नेत्रा को लक्ष्य कर उसपर हमले की योजना भी माओवादियों ने बनायी है। ड्रोन का इस्तेमाल कर भाकपा माओवादियों के द्वारा पुलिस बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना भी तैयार की गई है।
वायरलेस के इस्तेमाल मे गोपनीयता बरतने की सलाह
राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को निर्देश दिया है कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान वायरलेस सेट पर होने वाली बातचीत और सिग्नल को भी गोपनीय रखें। गौरतलब है कि झारखंड पुलिस वर्तमान में मैनुअल वायरलेस सिस्टम का ही इस्तेमाल करती है। ऐसे में इस वायरलेस की फ्रिक्वैसी सेट कर नक्सली असानी से सूचनाओं को सुन सकते हैं। राज्य पुलिस मुख्यालय ने जिलों के एसपी को यह भी निर्देश दिया है कि अभियान के पहले वायरलेस पर सूचना फ्लैश नहीं करें।
ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर क्या है नियम
झारखंड में दिसंबर 2018 में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर पुलिस मुख्यालय के स्तर पर बैठक हुई थी। पुलिस मुख्यालय ने ड्रोन के इस्तेमाल संबंधी गाइडलाइंस सभी जिलों के एसपी को भेजी थी। एक दिसंबर से झारखंड में ड्रोन के इस्तेमाल की नियमावली लागू है। नए नियम के मुताबिक, रिहायशी इलाकों में बगैर इजाजत ड्रोन नहीं उड़ाए जा सके। राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, विधानसभा, मिलिट्री कैंपस, हाईकोर्ट जैसे जगहों पर किसी स्थिति में ड्रोन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ड्रोन को अलग अलग ग्राम वर्ग में बांटा गया है। एयरपोर्ट के पास किलोमीटर के दायरे में ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता। ऐसे इलाको को रेड जोन में रखा जाता है, येलो जोन में उड़ान के पहले अनुमति जरूरी होती है, ग्रीन जोन में कुछ विशेष जगहों पर ड्रोन चलाने की अनुमति नहीं होती।
18 साल से अधिक की उम्र होना जरूरी
ड्रोन इस्तेमाल करने वाले की उम्र 18 साल होनी चाहिए। ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस प्लेट लेना होता है, जिसमें ऑपरेटर का नाम, पता, मोबाइल नंबर लिखना जरूरी होता है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता। ड्रोन की पांच कटैगरी 250 ग्राम से कम, 250 ग्राम से 2 किलोग्राम, 2 किलोग्राम से 25 किलोग्राम, 25 से 150 किलोग्राम व 150 किलोग्राम से अधिक की है।
सजा का प्रावधान
ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर अब नियम काफी कड़े किए गए हैं। नियम के उल्लंघन पर दंड व जुर्माना दोनों का दोनों का प्रावधान है। नियमों के उल्लंघन पर राज्य में आईपीसी की धारा 287, 336, 337, 338 के तहत एफआईआर दर्जकिया जा सकता है।