Patna : बिहार की मशहूर लोक गायिका मैथिली ठाकुर अब सियासत में कदम रखने जा रही हैं। खबर है कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो रही हैं और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दरभंगा जिले की अलीनगर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। हाल ही में मैथिली ने बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की, जिसके बाद उनके चुनावी मैदान में उतरने की अटकलें तेज हो गई हैं।
विनोद तावड़े का ट्वीट : ‘बिहार की बेटी लौटना चाहती हैं’
विनोद तावड़े ने मैथिली के साथ मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए X पर लिखा, “1995 में लालू राज के दौरान बिहार छोड़कर गए परिवार की बेटी, सुप्रसिद्ध गायिका मैथिली ठाकुर बदलते बिहार की रफ्तार को देखकर फिर से बिहार लौटना चाहती हैं। आज नित्यानंद राय जी और मैंने उनसे आग्रह किया कि बिहार की जनता और विकास के लिए उनका योगदान अपेक्षित है। बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर को अनंत शुभकामनाएं!”
वर्ष 1995 में बिहार में लालू राज आने पर जो परिवार बिहार छोड़कर चले गए, उस परिवार की बिटिया सुप्रसिद्ध गायिका मैथिली ठाकुर जी बदलते बिहार की रफ्तार को देखकर फिर से बिहार आना चाहती हैं।
आज गृह राज्यमंत्री @nityanandraibjp जी और मैंने उनसे आग्रह किया कि बिहार की जनता के लिए और… pic.twitter.com/DrFtkxQWo0
— Vinod Tawde (@TawdeVinod) October 5, 2025
मैथिली ठाकुर की कहानी : संगीत से सियासत तक
मधुबनी जिले के बेनीपट्टी की रहने वाली मैथिली ठाकुर ने 2011 में 11 साल की उम्र में जीटीवी के ‘सारेगामापा लिटिल चैंप्स’ से अपनी पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने भजन, फिल्मी गाने और लोकगीतों से देशभर में नाम कमाया। जुलाई 2025 में 25 साल की हुईं मैथिली को 2024 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग ने जन जागरण के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया था।

गरीबी और मेहनत की कहानी
मैथिली ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता दिल्ली में म्यूजिक सिखाकर 6-7 हजार रुपये महीने कमाते थे, जिसमें घर का खर्च चलता था। परिवार नजफगढ़ में एक छोटे से कमरे में रहता था। पिता चाहते थे कि बच्चे संगीत पर ध्यान दें, इसलिए मैथिली की शुरुआती पढ़ाई घर पर ही हुई। 7-8 साल की उम्र में उन्हें नगर निगम स्कूल में 5वीं कक्षा में दाखिला मिला, लेकिन संगीत की प्रैक्टिस के कारण पढ़ाई बीच में छूटी। बाद में दोबारा 5वीं में दाखिला हुआ।
स्कॉलरशिप से बदली जिंदगी
12-13 साल की उम्र में मैथिली को दिल्ली के बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में स्कॉलरशिप मिली। उनके भाई रिशव और अयाची को भी यही स्कॉलरशिप मिली। स्कूल में शुरू में बच्चे उन्हें ‘बिहारी’ कहकर चिढ़ाते थे, लेकिन अच्छे मार्क्स और सिंगिंग में स्टेट लेवल पुरस्कार जीतने के बाद उनकी पहचान ‘मैथिली ठाकुर’ बन गई।
‘राइजिंग स्टार’ से यूट्यूब स्टार तक
2017 में मैथिली ‘द राइजिंग स्टार’ शो में फर्स्ट रनर-अप रहीं। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया। यूट्यूब और फेसबुक पर लोकगीत और राम-सीता विवाह जैसे गाने डालने शुरू किए। आज उनके यूट्यूब चैनल को 37.7 लाख लोग और फेसबुक को 1.3 करोड़ लोग फॉलो करते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें और उनके भाइयों को ‘अटल मिथिला सम्मान’ से नवाजा है।
ब्लॉगिंग और बिहार की संस्कृति
कोरोना काल में मैथिली और उनके भाई रिशव ने ब्लॉगिंग शुरू की। मैथिली ने बिहार की संस्कृति, खान-पान और परंपराओं को अपने चैनल पर दिखाया। उनके भाई रिशव भी एक मशहूर यूट्यूबर बन गए।
सियासत में नया कदम
अगर मैथिली अलीनगर से चुनाव लड़ती हैं, तो बीजेपी की यह रणनीति युवाओं को आकर्षित कर सकती है। हालांकि, अभी टिकट को लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। बिहार में आज शाम 4 बजे चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान करेगा, जिसके बाद सियासी माहौल और गर्म होगा।
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