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    Home»झारखंड»देवघर : बच्चों का सीखना एक सामाजिक प्रक्रिया होने के नाते विद्यालयों में अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण : उपयुक्त
    झारखंड

    देवघर : बच्चों का सीखना एक सामाजिक प्रक्रिया होने के नाते विद्यालयों में अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण : उपयुक्त

    Team JoharBy Team JoharMay 23, 2020No Comments4 Mins Read
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    ः Joharlive Team

    देवघर। शनिवार को उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी नैंसी सहाय की अध्यक्षता में जिले के 600 विद्यालयों के 1000 प्रतिभागियों के साथ जूम एप एक माध्यम से ऑनलाइन अभिभावक शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान वीडियो काॅन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान समय में बच्चों का सीखना एक सामाजिक प्रक्रिया होने के नाते विद्यालयों में अभिभावकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में हम सभी को इन भूमिकाओं, बिन्दुओं एवं उद्देश्यों पर विचार-विमर्श करने हेतु आज गूगल मीट के माध्यम से विद्यालय स्तर पर ऑनलाइन अभिभावक शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया है।
    ज्ञात हो कि यह देवघर जिला का अनूठा पहल है, जिसमें विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक साथ इतने प्रतिभागी जुड़े एवं बच्चों के शिक्षा को बेहतर बनाने को लेकर विचार-विमर्श किया गया है। जहां एक तरफ, अभिभावकों ने अपने बच्चों के दक्षताओं के बारे में जाना, वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग की महत्वकांक्षी कार्यक्रम डिजी साथ एवं सीखने से इसके तारतम्यता को बारीकी से समझाया गया। चूंकि सीखना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है इसलिए बच्चों के सीखने में निरंतरत बनाये रखने में अभिभावकों की भूमिका पर आज विस्तृत चर्चा उपायुक्त महोदया की अध्यक्षता में किया गया।
    वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपायुक्त नैंन्सी सहाय ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग बच्चों को डिजी साथ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध करवाने हेतु प्रतिबद्ध है। इसके लिए विद्यालय स्तर पर अभिभावकों एवं बच्चों को जोड़ा जाने का कार्य किया जा रहा है। साथ हीं नियमित रूप से डिजिटल कंटेंट राज्य द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा है, अकादमिक चुनौतियों के निवारण हेतु ई-गुरुगोष्ठी भी जा रही है। सरकार व जिला प्रशासन बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध करवाने की प्रतिबद्धता में एक कदम और बढ़ाते हुए डी०डी० झारखण्ड पर भी कार्यक्रम की शुरुआत की है तो ऐसे स्थिति में अभिभावकों को भी अपने बच्चों को भविष्य सँवारने के प्रक्रिया में आगे आने की जरुरत है।
    इसके अलावे उपायुक्त ने अभिभावकों एवं बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा का मतलब किताबी ज्ञान ही नहीं होता है बल्कि पढाई के साथ-साथ बच्चों को सह-संज्ञानात्मक पक्षों जैसे कि क्विज, चित्रांकन, पोस्टर निर्माण आदि जैसे गतिविधियों का भी अपने दिनचर्या में जगह देने की आवश्यकता है। साथ हीं उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के कारण भावनात्मक रूप से कमजोर होने से बेहतर है कि हम दिए गये दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इसके रोकथाम पर विचार करते है, इससे शिक्षा के जरिये लड़ते है। उन्होंने कहा कि वे समीक्षा कर रहे है समीक्षोंपरांत सब कुछ ठीक रहा तो विद्यालयों को पुनः खोलने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावे लॉक डाउन के क्रम में सभी शिक्षक एवं अधिकारी डिजी साथ कार्यक्रम को प्रभावी रूप से सुनिश्चित करेंगें।
    जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ० माधुरी कुमारी ने बताया कि यह पहली बार है जब एक साथ इतने अभिभावक एक साथ बच्चों के शिक्षा को लेकर एक मंच पर आये है जो कि अपने आप में सराहनीय है। बच्चों की शिक्षा एक सामूहिक जिम्मेवारी है और इसमें शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों का सहयोग अपेक्षित है।  उन्होंने अभिभावकों से अनुरोध किया कि संबंधित विद्यालयों के व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े एवं अपने बच्चों को डिजिटल कंटेंट के माध्यम से लाभान्वित करें।
    विडियो कांफ्रेंस को फेसिलिटेट कर रहे प्रोजेक्ट साथ-ई के राज्य प्रतिनिधि सुजीत कुमार ने कहा कि सामूहिक भागीदारी के माध्यम से डिजी साथ के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते है। इस दिशा में, ऑनलाइन अभिभावक शिक्षक दिवस अभिभावकों को एक ठोस मंच प्रदान करता है, जिसके माध्यम से अभिभावक विद्यालयों में चल रहे बेहतर प्रयासों में भागीदार बनेगे। अभिभावकों से बच्चों के सीखने में निरंतरता बनाये रखा सकता है एवं विद्यालय के पोषकक्षेत्र में शिक्षा को लेकर सकरात्मक माहौल बनेगा।

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