बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपनी चुनावी रणनीति तेज़ कर दी है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पार्टी बिहार में दमखम के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। अगर सीट बंटवारे को लेकर ‘इंडिया गठबंधन’ में सम्मानजनक समझौता नहीं होता, तो जेएमएम अकेले चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जेएमएम की नजर बिहार के सीमावर्ती इलाकों की 12 से 15 विधानसभा सीटों पर है। इनमें तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, चकाई, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, बनमनखी, जमालपुर और धमदाहा जैसी सीटें प्रमुख हैं—जहां आदिवासी समुदाय और झारखंड समर्थक वोट बैंक पार्टी को उम्मीद दे रहे हैं।
जेएमएम को इस बात की नाराज़गी है कि ‘इंडिया गठबंधन’ की पिछली बैठकों में उसे नजरअंदाज़ किया गया। जबकि झारखंड में गठबंधन को मज़बूती देने में जेएमएम ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर काम किया था। पार्टी का मानना है कि अगर झारखंड में उसने सहयोग किया, तो बिहार में भी उसे सम्मानजनक भागीदारी मिलनी चाहिए थी।
पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में तय किया गया कि जेएमएम झारखंड से बाहर—बिहार, असम, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अपना राजनीतिक विस्तार करेगी। इसी क्रम में बिहार चुनाव को पार्टी एक बड़े अवसर के रूप में देख रही है।
हेमंत सोरेन की नेतृत्व क्षमता और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को स्टार प्रचारक बनाए जाने से पार्टी को भरोसा है कि दोनों नेताओं की लोकप्रियता बिहार में भी असर डालेगी।
क्या JMM बनेगी गठबंधन का हिस्सा?
फिलहाल, इंडिया गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, भाकपा माले और वीआईपी जैसे दल शामिल हैं, लेकिन जेएमएम को अब तक आमंत्रित नहीं किया गया है। यह स्थिति गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े करती है। यदि आने वाले दिनों में जेएमएम को उचित स्थान नहीं मिला, तो यह गठबंधन की राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
जेएमएम ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी स्थिति में बिहार चुनाव में हिस्सा लेगी—चाहे गठबंधन के तहत या फिर अकेले। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन जेएमएम को साथ लेने को तैयार होता है या बिहार चुनाव में एक नई सियासी टक्कर देखने को मिलेगी।
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