Ranchi : झारखंड में सहारा ग्रुप एक बार फिर से विवादों में है। इस बार मामला जमीन सौदों का है, जिसे लेकर CID जांच कर रही है। जांच में सामने आया है कि बोकारो, धनबाद, बेगूसराय और पटना में समूह की सैकड़ों एकड़ ज़मीन को सेक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (सेबी) द्वारा निर्धारित कीमत से बहुत कम दाम में बेचा गया था। इसके अलावा, जो पैसे आए, उन्हें सेबी में जमा तक नहीं कराया गया।
2013 vs 2022: जमीनों की कीमत में भारी अंतर
- सेबी ने 2013 में बोकारो की 68.14 एकड़ ज़मीन का आकलन ₹61.33 करोड़ किया था।
- लेकिन 2022 में सहारा ने यही ज़मीन बहुत कम दाम पर बेच दी।
- 2013 से 2022 तक इन संपत्तियों की कीमत 2–3 गुना बढ़ी थी, और फिर भी उन्हें सस्ते में बेचा गया।
फर्जी कंपनियां, फर्जी लोग और धोखाधड़ी?
- CID की जांच में पता चला है कि सहारा ने फर्जी कंपनियों और व्यक्तियों के नाम पर संपत्तियां ट्रांसफर कीं।
- रांची और बोकारो ज़ोन से कोलकाता, पटना, गुवाहाटी और दिल्ली जैसे कई ज़ोन में पैसे भेजे गए।
- फंड ट्रांसफर नियमित नहीं था, बल्कि पहले मंडल व टेरिटरी प्रमुख नीरज कुमार पाल और मुख्यालय कार्यकर्ताओं के आदेश पर होता था।
आरोपियों पर FIR की अनुशंसा
CID के इंस्पेक्टर नवल किशोर सिंह ने सुझाव दिया है कि सहारा इंडिया और सहारा कमर्शियल कॉरपोरेशन के कई निदेशक, भागीदार और अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हो। इसमें स्वप्ना रॉय, जयब्रतो रॉय, सुशांतो राय, ओपी श्रीवास्तव, नीरज कुमार पाल जैसे नाम हैं।
जमीन पर अस्पताल का निर्माण
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि धनबाद के गोविंदपुर अंचल की जमीन पर सहारा इंडिया के स्वामित्व की पुष्टि हुई थी और वहां असर्फी अस्पताल का निर्माण हो रहा है। सीआईडी ने संबंधित अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी को सहाराग्रुप से संपर्क साधने के निर्देश दिए हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में इस पूरे मामले को उठाया था और कहा था कि झारखंड में सहारा के निवेशकों को धोखा दिया गया। साथ ही, बिहार के प्रतिनिधियों को भी इसकी जानकारी दी गई है।
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