धनबाद में सियासी तनाव के बीच सरयू राय के फैसले का महत्व

धनबाद : 22 अप्रैल को सबकी निगाहें धनबाद पर होंगी क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय अहम फैसला लेंगे. बता दें कि सरयू राय धनबाद के उम्मीदवार ढुलू महतो के आपराधिक रिकॉर्ड को उजागर करने के लिए चर्चा में रहे हैं. वह अपने समर्थकों से मुलाकात कर इस बात पर चर्चा करेंगे कि उन्हें धनबाद से चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं.

अपराधियों के क्षेत्र और राजनीतिक दायरे के बीच दुविधा

सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा अग्रवाल द्वारा बुलाई गई बैठक महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है क्योंकि सरयू राय के फैसले का धनबाद के राजनीतिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि इस क्षेत्र की राजनीति पर लंबे समय से अपराधियों की मजबूत पकड़ रही है और ढुलू महतो और झारखंड के नागरिकों के 49 आपराधिक मामलों को उजागर करने के राय के साहसिक फैसले ने स्थिति को हिलाकर रख दिया है.

अपराधियों पर मजबूत नियंत्रण और नागरिकता की तलाश

सरयू राय ने अपने कार्यों से जनता का ध्यान खींचा हो, ऐसा पहली बार नहीं है. सरयू राय अपने निरर्थक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं.  उन्होंने अक्सर राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ रुख अपनाया है. उनके कार्यों से उन्हें न केवल जमशेदपुर के लोगों से, बल्कि अब ऐसा लगता है कि धनबाद के लोगों से भी बहुत सम्मान और प्रशंसा मिली है.

दांव ऊंचे और प्रतिस्पर्धा कठिन

सरयू राय के लिए धनबाद से लोकसभा चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना अहम फैसला है. हालांकि वह हमेशा से ही जमशेदपुर की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं, लेकिन यह उनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा प्रभाव डालने का मौका हो सकता है. हालाँकि, यह निर्णय लेना आसान नहीं है. दांव ऊंचे हैं और प्रतिस्पर्धा कठिन है.

अनुपमा सिंह को आशीर्वाद या ढुल्लू महतो का पूर्ण विरोध

एक तरफ कांग्रेस उम्मीदवार अनुपमा सिंह हैं, जो समर्थन के लिए राय के पास पहुंचीं. दूसरी ओर ढुलू महतो हैं, जिनका पर्दाफाश खुद राय ने किया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि राय अपने विकल्पों पर कैसे विचार करते हैं और कौन से कारक उनके अंतिम निर्णय को प्रभावित करते हैं. एक बात पक्की है कि अगर राय धनबाद से चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं, तो वह गेम-चेंजर साबित होंगे. उनकी साफ सुथरी और निर्भीक छवि निश्चित तौर पर अन्य प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर देगी. राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ उनका सख्त रुख निश्चित रूप से बदलाव चाहने वाले धनबाद के लोगों को प्रभावित करेगा.

निष्कर्ष

लेकिन आख़िरकार ये फैसला सरयू राय को ही करना होगा. 22 अप्रैल को वो क्या कहते हैं ये सुनने का सभी को बेसब्री से इंतजार रहेगा. क्या वह धनबाद के लोगों के लिए लड़ने और उनके जीवन में बहुत जरूरी बदलाव लाने की चुनौती स्वीकार करेंगे या वह जमशेदपुर में अपनी लड़ाई जारी रखेंगे? इन सवालों का जवाब 22 अप्रैल की बैठक में है. सरयू राय जो भी फैसला लें, उससे साफ है कि वह झारखंड की राजनीति में बड़ी ताकत बन गये हैं. उनके कार्यों से पता चला है कि वह भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ खड़े होने से डरते नहीं हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जो भी करना होगा वह करेंगे. जो भी हो, एक बात तय है कि इसका आगामी लोकसभा चुनाव और धनबाद के भविष्य पर खासा असर पड़ेगा.

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