Motihari : आषाढ महीना बीतने को है, लेकिन बिहार में मॉनसून लगातार लगातार दगा दे रहा है। मॉनसून की इस बेरूखी से नेपाल सीमावर्ती पूर्वी चंपारण जिले का भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है, जिससे आम जनजीवन अब प्रभावित होने लगा है। भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान ने स्थिति को और बदतर बना दिया है। जिले के कई क्षेत्रो में अब चापाकल सूखने लगे है। कही कही तो चापाकलों से गंदा और दूषित पानी निकलने लगा है।
जानकार बताते है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है। मानसून की अनिश्चितता और अल्पवृष्टि ने जिले के किसानो के माथे पर चिंता लकीरे खींच रही है।किसान लक्ष्मण कुशवाहा बताते है,कि बड़ी परिश्रम से धान का बिचड़ा तैयार किया था लेकिन बारिश नही होने से उसकी रोपनी नही हो पा रही है।
बता दें कि जिले में कृषि योग्य भूमि का अधिसंख्य भाग असिंचिंत होने के कारण कृषि संकट गहराता जा रहा है। गन्ना किसान रामविनय सिंह बताते हैं कि इस साल गन्ना के उत्तम प्रभेद की खेती किया हूं। हमारे क्षेत्र में खुदी नहरो में कभी भी पानी मयस्सर नही हो सका है, सभी सरकारी नलकूपे बंद हैं। सरकार का विद्युत कृषि फीडर बनाने का दावा खोखला है, लिहाजा डीजल पंप सेट के सहारे गन्ना का पटवन करा रहे है। किसानों ने बताया कि बारिश नही होने के खेतो के साथ ही अब पीने के पानी पर भी संकट गहराने लगा है।
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