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    Home»ट्रेंडिंग»सोशल मीडिया पर छाया ‘घिबली’, कैसे और कहां हुई इसकी शुरुआत… जानिये
    ट्रेंडिंग

    सोशल मीडिया पर छाया ‘घिबली’, कैसे और कहां हुई इसकी शुरुआत… जानिये

    Kajal KumariBy Kajal KumariMarch 31, 2025Updated:April 4, 2025No Comments4 Mins Read
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    घिबली
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    Johar Live Desk : इस समय सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड छाया हुआ है, जिसे लोग घिबली आर्ट के नाम से पहचान रहे हैं. एक्स, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग अपनी और सेलेब्रिटी की तस्वीरों को कार्टून-स्टाइल में बदलकर शेयर कर रहे हैं. इस ट्रेंड के बीच, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रभाव और इसके खतरे पर भी चर्चा हो रही है. जापान के स्टूडियो घिबली द्वारा बनाए गए इस विशिष्ट कला रूप को AI ने कुछ ही सेकंड्स में बनाने की क्षमता हासिल कर ली है, जबकि पहले इसे बनाने में महीनों का समय लगता था.

    घिबली आर्ट क्या है?

    घिबली आर्ट की शुरुआत 1985 में प्रसिद्ध निर्देशक हयाओ मियाज़ाकी और इसाओ ताहाटा ने की थी. इस स्टूडियो की पहचान अपनी शानदार एनिमेशन शैली और कहानी आधारित डिज़ाइन से रही है. “घिबली” शब्द एक लीबियाई अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है गर्म रेगिस्तानी हवा. मियाजाकी ने इस नाम का चयन जापान की एनिमेशन इंडस्ट्री में एक नई हवा को दर्शाने के लिए किया था.

    घिबली

    घिबली आर्ट के प्रति लोगों का आकर्षण

    घिबली आर्ट की खासियत यह है कि इसके पात्र हाथ से बनाए जाते हैं और इसमें हल्के पेस्टल रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी सादगी और शांति दर्शकों को आकर्षित करती है, जिससे इस स्टूडियो ने दुनियाभर में करोड़ों फैंस बनाए हैं.

    ChatGPT ने इसे कैसे वायरल किया?

    ChatGPT ने हाल ही में अपने GPT-40 टूल में एक बिल्ट-इन इमेज जेनरेशन फीचर जोड़ा, जिससे AI को घिबली स्टाइल की तस्वीरें बनाने की क्षमता मिल गई. यह फीचर यूजर्स को निर्देश देने पर घिबली की तरह की तस्वीरें बनाने में सक्षम बनाता है. इससे घिबली स्टाइल की तस्वीरें जल्द ही वायरल हो गईं. अन्य AI टूल्स के मुकाबले, ChatGPT ने बहुत ही सटीक और मियाजाकी की कला से मेल खाते हुए घिबली स्टाइल में इमेजेस तैयार की हैं, जो इसे अलग खड़ा करती हैं.

    घिबली

    क्या घिबली आर्ट बनाना कठिन है?

    घिबली आर्ट को बनाने का काम बहुत कठिन माना जाता है, क्योंकि इसे बहुत मेहनत और समय की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए, जापान की कई प्रसिद्ध एनिमेशन फिल्म्स जैसे स्पिरिटेड अवे, माई नेबर टोटोरो और प्रिंसेस मोनोनोके घिबली स्टाइल में बनाई गई हैं, जिनमें गहरी भावनाओं और जटिलताओं का समावेश होता है.

    बॉलीवुड से लेकर ओलंपिक तक

    सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रोफाइल पिक्चर्स, बॉलीवुड फिल्मों और खेल के दृश्यों से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क जैसी हस्तियों की तस्वीरों को भी घिबली स्टाइल में बदल रहे हैं. 2024 के पेरिस ओलंपिक की तैयारी से लेकर राजनीतिक नेताओं तक, हर कोई अब घिबली स्टाइल में दिखाई दे रहा है.

    घिबली

    कैसे बनाएं घिबली इमेज?

    आप ChatGPT के GPT-40 मॉडल का उपयोग करके आसानी से घिबली इमेज बना सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी इमेज को अपलोड करना होता है और प्रॉम्प्ट में लिखना होता है, “इस इमेज का Studio Ghibli वर्जन बनाओ.” इसके बाद, AI उस इमेज को घिबली स्टाइल में बदल देता है.

    घिबली

    कॉपीराइट का मुद्दा

    जैसे-जैसे इस आर्ट के स्टाइल की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, इस पर एक महत्वपूर्ण विवाद भी शुरू हो गया है. क्या यह कानूनी रूप से सही है कि AI कलाकारों के काम को बिना उनके अनुमोदन और आर्थिक मुआवजे के कॉपी कर सकता है? कई कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि AI द्वारा बनाई गई इस स्टाइल की तस्वीरें पूरी तरह से कानूनी नहीं हैं, क्योंकि इस तरह की तस्वीरों को बनाने के लिए मूल काम का उपयोग किया गया हो सकता है.

    घिबली के संस्थापकों की प्रतिक्रिया

    इस आर्ट के संस्थापक हयाओ मियाजाकी ने एक बार AI द्वारा बनाई गई तस्वीरों की आलोचना करते हुए इसे “जीवन का अपमान” बताया था. उनका मानना है कि कला का असली मूल्य तभी सामने आता है जब इंसान अपने अनुभवों, दर्द और संवेदनाओं को अपनी कला में उतारता है, जबकि AI इससे बहुत दूर है.

    इस आर्ट का AI के माध्यम से वायरल होना एक नई तकनीकी दिशा की ओर इशारा करता है. जहां एक ओर लोग इसकी सादगी और शांति को पसंद कर रहे हैं, वहीं इसके कानूनी और नैतिक पक्ष पर भी सवाल उठ रहे हैं. AI की भूमिका और उसके द्वारा बनाए गए आर्टवर्क को लेकर भविष्य में और भी चर्चाएं हो सकती हैं.

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