Prayagraj : पिछले एक हफ्ते से बाढ़ की मार झेल रहे प्रयागराज के आम नागरिकों को अब कुछ राहत मिलने लगी है। गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में पिछले दो दिनों से जारी गिरावट गुरुवार को भी बरकरार रही। जलस्तर 84 मीटर (खतरे के निशान से नीचे) तक पहुंच गया है। हालांकि, समस्या का पूर्ण समाधान अभी दूर दिख रहा है।
बिजनौर में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर
एडीएम (वित्त एवं राजस्व) विनीता सिंह ने बताया कि बिजनौर से मिली रिपोर्ट के अनुसार, वहां गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 1.05 मीटर ऊपर है। इसे देखते हुए शासन ने प्रयागराज प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। एडीएम ने कहा, “हमने शासन के निर्देशों के अनुसार सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।”
प्रशासन की तैयारियां चाक-चौबंद
जिला प्रशासन ने सभी विभागों को पहले की तरह सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने अधिकारियों को किसी भी तरह की ढिलाई न बरतने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा, “जलस्तर में कमी आई है, लेकिन प्रशासन हर स्थिति के लिए तैयार है। सभी टीमें और विभाग पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं।” वहीं, राहत शिविरों में रह रहे लोगों का कहना है कि जलस्तर कम होने के बावजूद अभी घर लौटना सुरक्षित नहीं है।
20 गांव और 20 मोहल्ले प्रभावित
गंगा-यमुना के जलस्तर में तेजी से कमी आने के बावजूद बिजनौर में गंगा के खतरे के निशान से ऊपर होने के कारण जिला प्रशासन को अलर्ट मोड में रखा गया है। बाढ़ से प्रभावित 20 गांवों और 20 मोहल्लों के लोग अभी भी पूरी तरह राहत महसूस नहीं कर पा रहे हैं।
आने वाले दिनों में फिर बढ़ सकता है जलस्तर
हरिद्वार, नरोरा और कानपुर बैराज से गंगा में डेढ़ लाख से सवा दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। वहीं, हथिनीकुंड और ओखला बैराज से यमुना में डिस्चार्ज बढ़ाया गया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह पानी लगभग एक सप्ताह बाद प्रयागराज पहुंचेगा। यदि गंगा और यमुना का पानी एक साथ पहुंचा, तो प्रयागराज में जलस्तर दो से तीन मीटर तक बढ़ सकता है। इससे शहर और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का खतरा फिर से गहरा सकता है।
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