Ranchi : बोकारो के पूर्व भाजपा विधायक (Ex. MLA) बिरंची नारायण ने आज यानी सोमवार को झारखंड के मुख्य निर्वाचल पदाधिकारी यानी CEO के. रवि कुमार से मुलाकात की। उन्होंने विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का CEO से आग्रह दोहराया। इसके लिए Ex. MLA ने CEO को पत्र सौंपा है। इससे पहले बीते 21 मई को झारखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री सह राज्यसभा सांसद आदित्य साहू की अगुवाई में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा था। जिसमें बोकारो विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गयी थी।
आज लिखे गये पत्र में Ex. MLA बिरंची नारायण ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से अनुरोध किया है कि सभी तथ्यों और दस्तावेजों की गंभीरतापूर्वक गहन जांच करवाकर नियमानुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 और 192 और The Representation of The People Act, 1951 के सुसंगत धाराओं के तहत अविलंब विधायक श्वेता सिंह की सदस्यता रद्द की जाय।
क्या है मामला :
झारखंड भाजपा ने श्वेता सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गैर-कानूनी काम किये हैं। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने के समय सूचना को छुपाया है। BSL (HSCL POOL) के द्वारा श्वेता सिंह को आवंटित क्वार्टर का नो ड्यूज सर्टिफिकेट संलग्न नहीं करके शपथ पत्र के साथ गलत जानकारी दी है। श्वेता सिंह पर आरोप है कि उनके नाम से 4 मतदाता पहचान पत्र हैं। उनके नाम से 2 पैन कार्ड भी हैं। भाजपा ने कहा है कि ये गंभीर अपराध हैं।
शिकायत में बताया गया है कि श्वेता सिंह ने 2024 के चुनाव के समय अपने नामांकन पत्र फॉर्म-26 में दो सरकारी क्वार्टरों का विवरण छिपाया। ये दोनों क्वार्टर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (BSL) के तहत बोकारो स्टील सिटी में उनके नाम से आवंटित हैं। इसके साथ ही, उन्होंने इन क्वार्टरों के किराये की बकाया राशि की जानकारी नहीं दी और न ही कोई No Dues Certificate जमा किया।
शिकायत के अनुसार, ये गलत जानकारी नोटरी पब्लिक के सामने शपथ पत्र के रूप में दी गई, जो गंभीर अपराध है। इस मामले को भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(1), 191(1)(a) और 192 के तहत “Office of Profit” माना गया है, जिसके चलते उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।
अनुच्छेद 191 के तहत अगर कोई व्यक्ति सरकारी पद पर कार्यरत है जो विधायक पद के साथ मेल नहीं खाता, तो वह विधायक पद के लिए अयोग्य माना जाता है। अनुच्छेद 192 के तहत इस मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल का होगा, जो चुनाव आयोग की राय के आधार पर निर्णय लेंगे।
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