Ranchi : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के दिग्गज नेता शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार आज यानी मंगलवार को उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़) में किया जाएगा। उनके छोटे बेटे बसंत सोरेन उन्हें मुखाग्नि देंगे। इससे पहले, उनके पार्थिव शरीर को रांची में JMM कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद पार्थिव शरीर को विधानसभा ले जाया जाएगा। अंतिम संस्कार में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल होंगे।
शिबू सोरेन का सोमवार सुबह 8:56 बजे दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय शिबू सोरेन हृदय रोग, किडनी और फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें 19 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्हें ब्रेन स्ट्रोक और पैरालिसिस का अटैक भी हुआ। वह वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन पर झारखंड सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी आयोजन नहीं होगा। सोमवार और मंगलवार को सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे, जबकि विधानसभा का मॉनसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल पहुंचकर शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी। सोमवार शाम को उनका पार्थिव शरीर रांची लाया गया और मोरहाबादी स्थित उनके आवास पर ले जाया गया, जहां समर्थकों और विपक्षी नेताओं ने उनके अंतिम दर्शन किए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने X पर लिखा, “दिशोम गुरु हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।”
शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर
झारखंड गठन में शिबू सोरेन की अहम भूमिका रही। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री, एक बार केंद्रीय मंत्री और आठ बार सांसद रहे। हालांकि, उनके तीन कार्यकालों में वे कुल मिलाकर केवल 10 महीने 10 दिन ही मुख्यमंत्री पद पर रहे। पहली बार 2 मार्च 2005 को वे मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण 10 दिन में इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार 27 अगस्त 2008 को वे मुख्यमंत्री बने, लेकिन तमाड़ उपचुनाव में हार के बाद 18 जनवरी 2009 को इस्तीफा दे दिया। तीसरी बार 30 दिसंबर 2009 को वे मुख्यमंत्री बने, लेकिन पांच महीने बाद 31 मई 2010 को उन्हें फिर इस्तीफा देना पड़ा।
झारखंड में शोक की लहर
शिबू सोरेन के निधन से झारखंड में शोक की लहर है। उनके योगदान को याद करते हुए नेताओं और समर्थकों ने उन्हें आदिवासी आंदोलन का प्रणेता और झारखंड के विकास का मजबूत स्तंभ बताया। उनके निधन पर पूरे राज्य में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।