Johar Live Desk : होली का त्योहार भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा. यह त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रंगों और गुलाल से खेलते हुए लोग इस दिन अपने गिले-शिकवे भुलाकर मिलकर खुशियों का जश्न मनाते हैं. होली सिर्फ एक रंगीन और मस्तीभरा त्योहार नहीं, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है. हालांकि, होली के रंगों का हर एक रंग एक गहरी भावना और संदेश को व्यक्त करता है. इन रंगों के माध्यम से हम अपनी भावनाओं और संस्कृति को व्यक्त करते हैं.
जानें रंगों के पीछे छिपे हुए अर्थ के बारे में :
- गुलाबी रंग : यह रंग दया और दोस्ती का प्रतीक है. गुलाबी रंग के माध्यम से लोग एक दूसरे से अपना प्यार और स्नेह व्यक्त करते हैं. यह रंग कई लोगों का पसंदीदा भी होता है क्योंकि यह खुशी और सामंजस्य का प्रतीक है.
- नीला रंग : भगवान कृष्ण से जुड़ा नीला रंग प्रेम, विश्वास और शक्ति का प्रतीक है. इसे शुभ माना जाता है और यह लोगों के बीच प्रेम और मित्रता को बढ़ाता है. नीला रंग सद्भावना का प्रतीक भी माना जाता है.
- केसरिया (ऑरेंज) रंग : केसरिया रंग त्याग, बलिदान और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है. यह रंग शांति, सभ्यता और समृद्धि का संदेश देता है, और यह होली के उत्सव में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
- लाल रंग : लाल रंग प्यार, ऊर्जा, उत्साह और जीत का प्रतीक है. होली पर इस रंग का विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है. यह रंग लोगों के बीच उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है.
- हरा रंग : हरा रंग हरियाली, शीतलता और खुशी का प्रतीक है. यह रंग बुद्धि और विवेक का भी प्रतीक माना जाता है और इसे शांति का रंग माना जाता है.
- पीला रंग : पीला रंग भारतीय संस्कृति में अत्यधिक शुभ और पवित्र माना जाता है. यह शांति, ऐश्वर्य और स्वास्थ्य का प्रतीक है और होली के समय इसे शुभ माने जाते हुए प्रचलन में रहता है.
इस साल, होली 2025 का त्योहार न केवल रंगों से बल्कि इन रंगों के पीछे छिपे हुए गहरे संदेशों के साथ मनाया जाएगा. इस पर्व के माध्यम से हम प्रेम, भाईचारे, और सकारात्मकता का प्रचार करें और जीवन में खुशियाँ और शांति लाने की दिशा में कदम बढ़ाएं.
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