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    Home»झारखंड»इन नामी-गिरामी संस्थानों की डिग्री नहीं मानता बिजली बोर्ड, सरकार ने लिया संज्ञान… होगी कार्रवाई
    झारखंड

    इन नामी-गिरामी संस्थानों की डिग्री नहीं मानता बिजली बोर्ड, सरकार ने लिया संज्ञान… होगी कार्रवाई

    Sandhya KumariBy Sandhya KumariMarch 1, 2025Updated:March 1, 2025No Comments3 Mins Read
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    इंजीनियरिंग
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    Ranchi : बिजली बोर्ड बीआईटी, बीआईटी सिंदरी, एमआईटी भागलपुर और एमआईटी वारंगल सहित देश के नामी-गिरामी इंजीनियरिंग संस्थानों की डिग्री हो नहीं मानता है. इसके चलते लगभग दो दर्जन इंजीनियरों की प्रोन्नति रुकी हुई है. ये इंजीनियर तीन साल पीछे चले गये हैं. इसकी वजह यह है कि एमआईटी और बीआईटी जैसे अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों में इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई होती है. जबकि बिजली बोर्ड का तर्क है कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री होनी चाहिए. जबकि इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में कोई फर्क नहीं है. बिजली बोर्ड के इस फरमान के बाद इंजीनियरों को अपने इंजीनियरिंग संस्थानों से यह शपथ पत्र में लिखवाकर देना पड़ा कि ये दोनों एक ही कोर्स है. इसके बावजूद भी बिजली बोर्ड इन इंजीनियरों को प्रोन्नति देने में आना-कानी कर रहा है. इस मामले में सरकार ने संज्ञान लिया है. जल्द ही बिजली बोर्ड के अफसर को तलब किया जा सकता है.

    बताते चलें कि वर्ष 2009 में लगभग दो दर्जन इंजीनियरों की बहाली प्रतियोगिता परीक्षा के जरिये हुई थी. इसमें से कुछ इंजीनियरों को 2009 में ही ज्वाइंनिंग दे दी गयी साथ ही नियमित प्रोन्नति भी दी गयी. लेकिन बीआईटी, बीआईटी सिंदरी, एमआईटी भागलपुर और एमआईटी वारंगल सहित देश के नामी-गिरामी इंजीनियरिंग संस्थानों के डिग्रीधारी इंजीनियरों को एक अगस्त 2011 में ज्वाइनिंग दी गयी. इस हिसाब से ये इंजीनियर तीन साल पीछे चले गये हैं. इसमें 18 डायरेक्ट इंजीनियर ऐसे हैं, जिनको प्रोन्नति नहीं दी गयी है. जबकि ये सभी इंजीनिचयर प्रोन्नति पाने की अर्हता भी रखते हैं.

    फिलहाल बिजली बोर्ड में 64 नये पदों का सृजन किया गया है, जिसमें कार्यकारी निदेशक के तीन पद, जीएम तकनीक के 11, जीएम (सीजीआरएफ) के 11, डीजीएम तकनीक के 19, डीजीएम (सीजीआरएफ) के 19 और डीजीएम एचआर के दो पद शामिल हैं. इन सभी पदों के लिए डीपीसी होनी है. मिली जानकारी के अनुसार, डीपीसी में इन इंजीनियरों का नाम शामिल नहीं किया गया है. बिजली बोर्ड का कहना है कि एक अगस्त 2011 में ज्वाइनिंग होने के कारण कालाविधि पूरी नहीं हुई है. जबकि 2017 में ही अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि इनकी ज्वाइनिंग 21 नवंबर 2009 से मानी जानी चाहिए. बिजली बोर्ड में डिप्लोमाधारी और कोरसपोंडंस कोर्स किये इंजीनियरों को डीजीएम रैंक में पदस्थापित किया गया है. ऐसे 12 डिप्लोमाधारी इंजीनियर हैं, जिन्हें रांची, जमशेदपुर, देवघर, हजारीबाग और साहेबगंज में डीजीएम रैंक में पदस्थापित किया गया है.

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