Patna : नेशनल मीडिया सेंटर में चुनाव आयोग ने रविवार को एक प्रेस वार्ता की। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार 18 साल की उम्र पूरी करने वाला हर नागरिक मतदाता बनना चाहिए और वोट देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों का पंजीकरण चुनाव आयोग में होता है, इसलिए आयोग किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। चाहे कोई किसी भी दल से हो, आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निष्पक्षता से निभाएगा।
1.6 लाख बीएलए ने तैयार की मतदाता सूची
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि पिछले दो दशकों से राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियां सुधारने की मांग करते रहे हैं। इसके लिए बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया गया है। इस प्रक्रिया में 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट (बीएलए), मतदाता और बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) ने मिलकर मसौदा सूची तैयार की है। इस सूची को सभी दलों के बीएलए ने हस्ताक्षर कर सत्यापित किया है। त्रुटियां सुधारने के लिए अभी 15 दिन का समय है। आयोग ने सभी दलों और बीएलए से अपील की है कि वे इस दौरान त्रुटियां बताएं।
पारदर्शी प्रक्रिया, वोट चोरी असंभव
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि लोकसभा चुनाव में 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी, 10 लाख से ज्यादा बीएलए और 20 लाख से ज्यादा पोलिंग एजेंट काम करते हैं। इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में वोट चोरी संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बिना सबूत के वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह कर रहे हैं, जो संविधान का अपमान है। बिना इजाजत मतदाताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल करना भी लोकतंत्र का अपमान है।
आयोग और मतदाताओं की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं
उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर बीएलओ, बीएलए और मतदाता मिलकर पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं। सत्यापित दस्तावेज और वीडियो प्रशंसापत्र मौजूद हैं। फिर भी कुछ दल भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। बिहार के 7 करोड़ से ज्यादा मतदाता और आयोग मिलकर एसआईआर को सफल बनाने में जुटे हैं। ऐसे में आयोग या मतदाताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना गलत है।
मशीन-पठनीय सूची पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव नतीजों के बाद 45 दिनों तक दल कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। इसके बाद बेबुनियाद आरोप लगाना ठीक नहीं। मशीन-पठनीय मतदाता सूची के बारे में सुप्रीम कोर्ट 2019 में कह चुका है कि यह मतदाताओं की निजता का उल्लंघन हो सकता है।
बिहार एसआईआर के बाद पहली प्रेस वार्ता
बिहार में SIR शुरू होने के बाद यह आयोग की पहली प्रेस वार्ता है। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष के आरोप निराधार हैं। यह प्रेस वार्ता उस दिन हुई, जब राहुल गांधी बिहार में 16 दिन की वोट अधिकार यात्रा शुरू करने वाले हैं।