Ranchi : डब्ल्यू जॉन मल्टिपरपस बोर्डिंग स्कूल, नगड़ी रांची में छात्र-छात्राओं के लिए ‘डॉन अभियान’ के तहत नशा मुक्ति पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डिप्टी एलएडीसी राजेश कुमार सिन्हा, लाइफ सेवर्स एनजीओ प्रमुख अतुल गेरा, इंस्पेक्टर सीआईडी रिजवान अंसारी, इंस्पेक्टर एनसीबी संजीत कुमार, सब-इंस्पेक्टर, शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं, रोटरी क्लब ऑफ रांची साउथ के सदस्य और अन्य उपस्थित थे।

डिप्टी एलएडीसी राजेश कुमार सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 47 पर फोकस करते हुए कहा कि अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्जे पर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक की सजा और 2 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड भी दिया जा सकता है। उन्होंने नशे से संबंधित पुनर्वास केंद्रों और एनजीओ की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। साथ ही, नशा करने वाले व्यक्तियों के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत लिगल एड क्लिनिक के बारे में जानकारी दी।

सिन्हा ने नशीली दवाओं की तस्करी, रखने, ले जाने या किसी व्यक्ति के पास पाए जाने पर एनडीपीएस कानून के तहत होने वाली सजा के बारे में भी जानकारी दी और नालसा टोल फ्री नंबर 15100 पर ध्यान केंद्रित किया। अतुल गेरा ने कहा कि नशा देश को खोखला कर रहा है। उन्होंने छात्रों को सचेत करते हुए कहा कि नशा पेडलर नवयुवकों और छात्रों को लालच देकर अपने जाल में फंसाते हैं। नशा से तन, मन और धन की हानि होती है और इसकी आदत अपराध की ओर ले जाती है।


एनसीबी के संजीत कुमार ने झारखंड में नशे की समस्या से निपटने में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की भूमिका बताई। उन्होंने कहा कि नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है। गृह मंत्रालय द्वारा आम जनता के लिए स्थापित टोल फ्री नंबर 1933 के माध्यम से किसी भी संदेह की सूचना दी जा सकती है। सीआईडी के रिजवान अंसारी ने मादक पदार्थों की तस्करी और इसमें बच्चों और नवयुवकों के उपयोग की जानकारी साझा की। उन्होंने छात्रों को सचेत रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना अधिकारियों को देने की सलाह दी।

कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने नशे से होने वाले शारीरिक, मानसिक और सामाजिक नुकसान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कुछ बच्चों की नशे की आदत 16 वर्ष या इससे कम उम्र में ही शुरू हो जाती है। पुनर्वास केंद्रों में अधिक जनसंख्या इस समस्या को और गंभीर बनाती है। यदि रांची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाता है तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत कमी की संभावना है। अंत में पम्पलेट और लिफलेट का वितरण कर छात्रों और उपस्थित लोगों को जागरूक किया गया।
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