Johar Live Desk : Drishti IAS कोचिंग संस्थान के संस्थापक और चर्चित शिक्षक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वह एक वीडियो में न्यायपालिका और कानूनी व्यवस्था पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण कानूनी विवाद में फंस गए हैं। इस मामले में अजमेर की एक निचली अदालत ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया है और उन्हें 22 जुलाई 2025 को कोर्ट में पेश होने का समन जारी किया है। इस फैसले को चुनौती देने के लिए डॉ. दिव्यकीर्ति ने राजस्थान हाई कोर्ट (HC) का रुख किया है, जहां उनकी याचिका पर 21 जुलाई 2025 को सुनवाई होगी।
क्या है विवाद का कारण?
विकास दिव्यकीर्ति का एक यूट्यूब वीडियो, जिसका शीर्षक “IAS vs Judge: कौन ज्यादा ताकतवर?” है, इस विवाद का केंद्र बिंदु है। इस वीडियो में उन्होंने कथित तौर पर न्यायपालिका और जजों की भर्ती प्रक्रिया (कॉलेजियम सिस्टम) पर व्यंग्यात्मक और आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। वीडियो में “जुगाड़” जैसे शब्दों का इस्तेमाल और न्यायपालिका की कार्यशैली पर की गई टिप्पणियों को लेकर अजमेर के वकील कमलेश मंडोलिया ने उनके खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज की। शिकायत में आरोप लगाया गया कि इन टिप्पणियों से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंची है और जनता में इसके प्रति अविश्वास पैदा हो सकता है।
अजमेर कोर्ट का फैसला
अजमेर की सिविल न्यायालय पश्चिम के न्यायिक मजिस्ट्रेट मनमोहन चंदेल की अदालत ने इस मामले में 8 जुलाई को 40 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया सबूत दर्शाते हैं कि डॉ. दिव्यकीर्ति ने जानबूझकर लोकप्रियता हासिल करने के लिए न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक और व्यंग्यात्मक भाषा का इस्तेमाल किया। कोर्ट ने इसे न्यायपालिका की छवि और विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने वाला माना। इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2), 356(2), 356(3) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 66A(b) के तहत केस दर्ज किया गया है। कोर्ट ने डॉ. दिव्यकीर्ति को 22 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया और अजमेर पुलिस को मामले की जांच के निर्देश दिए।
डॉ. दिव्यकीर्ति का पक्ष
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि विवादित वीडियो से उनका कोई संबंध नहीं है। उनका दावा है कि यह वीडियो किसी तीसरे पक्ष ने उनकी अनुमति के बिना संपादित कर अपलोड किया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में थीं। हालांकि, अजमेर कोर्ट ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि एक शिक्षक और संस्थान के निदेशक के रूप में उन्हें अपने भाषण के रिकॉर्ड होने और सार्वजनिक होने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि डॉ. दिव्यकीर्ति ने वीडियो अपलोड करने वाले के खिलाफ कोई नोटिस जारी नहीं किया और न ही इस पर कोई आपत्ति दर्ज की।
राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका
अजमेर कोर्ट के समन के खिलाफ डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की है। उनकी याचिका पर 21 जुलाई 2025 को न्यायमूर्ति समीर जैन की बेंच में सुनवाई होगी। इस सुनवाई में यह तय होगा कि क्या यह मामला आगे बढ़ेगा या इसे खारिज किया जाएगा।
कौन हैं डॉ. विकास दिव्यकीर्ति?
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति एक प्रतिष्ठित शिक्षक, लेखक और दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान के संस्थापक हैं। उनका जन्म 26 दिसंबर 1973 को हरियाणा में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातक और उच्च शिक्षा प्राप्त की। 1996 में UPSC परीक्षा पास कर वे केंद्रीय गृह मंत्रालय में कार्यरत रहे, लेकिन एक साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर 1999 में दिल्ली में दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान की स्थापना की। उनके यूट्यूब चैनल के 37 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं, जहां वे UPSC अभ्यर्थियों के लिए हिंदी में शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराते हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है। कई यूजर्स ने डॉ. दिव्यकीर्ति के खिलाफ कोर्ट के फैसले का समर्थन किया, जबकि कुछ उनके पक्ष में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत कर रहे हैं। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में भी बहस का विषय बना हुआ है।
आगे क्या?
21 जुलाई को राजस्थान हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई इस मामले में महत्वपूर्ण होगी। यदि हाई कोर्ट डॉ. दिव्यकीर्ति की याचिका को स्वीकार करता है, तो यह मामला रद्द हो सकता है। अन्यथा, उन्हें 22 जुलाई को अजमेर कोर्ट में पेश होना होगा। इस मामले का परिणाम न केवल डॉ. दिव्यकीर्ति और दृष्टि IAS के लिए, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्यायपालिका की गरिमा से जुड़े व्यापक मुद्दों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
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