Motihari : पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता रमा देवी और उनके दिवंगत पति व बिहार सरकार में पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद के परिवार में पैतृक संपत्ति को लेकर गहराया विवाद अब कोर्ट के आदेश के बाद एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। मोतिहारी कोर्ट ने इस बहुचर्चित पारिवारिक विवाद में अंतरिम आदेश देते हुए संपत्ति को छह बराबर हिस्सों में बांटने का निर्देश दिया है।
मामले में रमा देवी की बड़ी बेटी रागिनी गुप्ता ने कोर्ट में दावा किया था कि पिता की हत्या के बाद सभी संतानों ने मां को पावर ऑफ अटर्नी दी थी, जिसे 2017 में रद्द कर दिया गया था। इसके बावजूद रमा देवी ने मोतिहारी के बंजरिया इलाके की करीब 19 कट्ठा 6 धुर जमीन एक व्यवसायी को बेच दी। रागिनी का आरोप है कि इस जमीन की कीमत करोड़ों में है और यह बिक्री अवैध रूप से की गई। कोर्ट ने पूर्व में दी गई पावर ऑफ अटर्नी को अमान्य मानते हुए संपत्ति को मां, दो बेटों और तीन बेटियों में समान रूप से छह हिस्सों में बांटने का आदेश दिया है।
रमा देवी की प्रतिक्रिया :
इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए रमा देवी ने कहा, “मैं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाऊंगी। बच्चों ने मुझे पावर ऑफ अटर्नी दी थी, उसी आधार पर मैंने चुनाव भी लड़ा। मैंने कभी बेटे-बेटियों में भेद नहीं किया। ये मामला बातचीत से सुलझ सकता था, लेकिन मेरी बड़ी बेटी रागिनी ने कोर्ट का रास्ता चुना।”
रागिनी गुप्ता की प्रतिक्रिया :
वहीं, रागिनी गुप्ता ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ संपत्ति की नहीं, बेटियों के अधिकारों की है। “मां ने पावर ऑफ अटर्नी का दुरुपयोग किया। हमने कोर्ट का सहारा इसलिए लिया ताकि बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक मिले। यह फैसला सिर्फ हमारे लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज की बेटियों के लिए मिसाल बनेगा।”
नारी सशक्तीकरण की मिसाल या पारिवारिक विघटन?
इस हाई-प्रोफाइल मामले ने राज्य भर में महिला अधिकार और पारिवारिक सत्ता संघर्ष पर बहस छेड़ दी है। कोर्ट के फैसले को जहां महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, वहीं राजनीतिक हलकों में इसे एक बड़े नेता के परिवार की निजी लड़ाई का सार्वजनिक होना भी कहा जा रहा है।
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