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    Home»जोहार ब्रेकिंग»झारखंड में भ्रष्टाचार चरम पर, हर नौवें दिन पकड़ा जाता है एक रिश्वतखोर, सबसे ज्यादा पुलिस विभाग में
    जोहार ब्रेकिंग

    झारखंड में भ्रष्टाचार चरम पर, हर नौवें दिन पकड़ा जाता है एक रिश्वतखोर, सबसे ज्यादा पुलिस विभाग में

    Team JoharBy Team JoharApril 8, 2022No Comments3 Mins Read
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    रांची । झारखंड के सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी का दस्तूर मजबूती के साथ स्थापित हो गया है। इस सच की गवाही खुद सरकार के आंकड़े दे रहे हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो और विजिलेंस की ओर से रिश्वतखोरी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के आंकड़ों के आधार पर हिसाब लगाएं तो यहां औसतन हर नौवें दिन किसी न किसी सरकारी दफ्तर का कोई अफसर-कर्मचारी रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाता है। झारखंड बने हुए 21 साल हुए हैं और अब तक 875 सरकारी कर्मियों को रिश्वतखोरी के आरोप में रंगे हाथों पकड़ा गया है। इस साल यानी वर्ष 2022 की बात करें तो मार्च तक 11 सरकारी अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हुए। बीते 29 मार्च को रांची के सीनियर एसपी के कार्यालय के एक क्लर्क दीपक को एसीबी की टीम ने उस वक्त दबोचा, जब वह अपने ही विभाग के एक रिटायर कर्मी से पांच हजार रुपये घूस ले रहा था। एक अप्रैल को रांची स्थित मेडिकल कॉलेज रिम्स के कुंदन कुमार को भी ऐसे ही मामले में घूस लेते पकड़ा। वह भी एक रिटायर कर्मी की पेंशन के कागजात दुरुस्त करने के लिए घूस ले रहा था। इसके पहले मार्च के पहले हफ्ते में स्वास्थ्य निदेशालय के कर्मी कृष्णकांत बारला को भी अपने ही विभाग के एक कर्मचारी से 10 हजार रुपये घूस लेते हुए पकड़ा गया। 8 मार्च को पलामू के पंडवा थाने में पोस्टेड एएसआई मुन्ना लाल जामुदा को भी एसीबी की टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोचा था। जाहिर है, लगातार अभियान के बावजूद रिश्वतखोर अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे।

    निगरानी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रिश्वतखोरी के सबसे ज्यादा मामले पुलिस में ही सामने आये हैं। पिछले साल रिश्वत लेने के आरोप में जितने कर्मियों को गिरफ्तार किया गया, उनमें 30 फीसदी पुलिस के लोग थे। इसके अलावा सबसे ज्यादा राजस्व विभाग, ग्रामीण विकास, इंजीनियरिंग विभाग, बिजली शिक्षा, पथ निर्माण और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं। बीते बीस वर्षों में अब तक सबसे ज्यादा वर्ष 2017 में 137 अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किये गये थे। पिछले साल यानी 2021 में 51, 2020 में 58 और 2019 में 67 अफसर-कर्मी इन मामलों में पकड़े गये थे। निगरानी विभाग ने राज्य मुख्यालय रांची के अलावा दुमका, पलामू, हजारीबाग, धनबाद और जमशेदपुर में कार्यालय खोले हैं।

    इंडिया करप्शन सर्वे ने कुछ अरसा पहले देश के आठ सबसे भ्रष्ट राज्यों की सूची जारी की थी, इसके अनुसार भ्रष्टाचार के मामले में झारखंड देश में तीसरे नंबर पर है। सबसे भ्रष्ट राज्य के रूप में राजस्थान का नाम सामने आया था। इस सूची में बिहार दूसरे नंबर और झारखंड तीसरे नंबर पर था। सर्वे में झारखंड के 74 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि उन्हें अपना काम कराने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ी है।

    हालांकि एक सच यह भी है कि रिश्वत लेते गिरफ्तार किये गये ज्यादातर कर्मियों के खिलाफ निगरानी विभाग या तो चार्जशीट फाइल करने में विफल रहता है या फिर जांच में सबूत इतने कमजोर होते हैं कि अदालत से इन्हें सजा नहीं हो पाती। निगरानी के आंकड़ों के मुताबिक, जून 2021 से ऐसे लगभग 84 मामलों में चार्जशीट फाइल की गयी है।

    इस बीच हाल में राजभवन ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ लंबित निगरानी जांच की रिपोर्ट मांगी थी। इसमें राज्य सरकार से अधिकारियों के खिलाफ मामला लंबित रखने के कारणों की जानकारी मांगी गयी थी।

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