Ranchi : केंद्र सरकार की गोवर्धन (गैल्वेनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत झारखंड के ग्रामीण इलाकों में जैविक कचरे से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। बोकारो, रामगढ़, दुमका, जामताड़ा और सरायकेला-खरसावां में नए बायोगैस प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। इन प्लांटों से रोजाना 135 घनमीटर गैस का उत्पादन होगा। इसके अलावा, पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव में 25 घनमीटर क्षमता वाला बायोगैस प्लांट तैयार हो चुका है, जो 20 घरों को सीधा लाभ देगा। इन पांच नए प्लांटों के साथ झारखंड में बायोगैस प्लांटों की संख्या बढ़कर 47 हो जाएगी।
गैस और खाद का दोहरा लाभ
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस योजना से गांवों में कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन होगा। इससे रसोई गैस पर निर्भरता कम होगी और किसानों को जैविक खाद आसानी से मिलेगी। आने वाले वर्षों में और जिलों को इस योजना से जोड़ा जाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
क्या है गोवर्धन योजना?
गोवर्धन योजना केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य जैविक कचरे, जैसे मवेशियों के गोबर और कृषि अवशेषों को बायोगैस, बायो-सीएनजी और जैविक खाद में बदलना है। यह योजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का हिस्सा है। इससे गांवों को स्वच्छ ईंधन, बेहतर स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर मिलेंगे।
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