Johar Live Desk: इस बार दिवाली की खुशियां और बढ़
सकती हैं क्योंकि सरकार GST ढांचे में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक शुरू हो चुकी है और गुरुवार को फैसलों का ऐलान होने की उम्मीद है। योजना है कि नवरात्र से पहले ही नए नियम लागू कर दिए जाएं ताकि त्योहारों के सीजन में लोगों की जेब पर बोझ हल्का हो।
फिलहाल GST के चार प्रमुख स्लैब हैं – 5%, 12%, 18% और 28%। सरकार 12 और 28 प्रतिशत वाले स्लैब को खत्म करने पर विचार कर रही है। इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ता को मिलेगा। 12% स्लैब हटने के बाद रोजमर्रा के सामान जैसे घी, मक्खन, तेल, नमक, मेवे, नमकीन, शैंपू, साबुन, टूथपाउडर, पैकेज्ड पानी, स्कूली नोटबुक, चार्ट, साइकिल, छाते और कई मेडिकल उपकरण सस्ते हो सकते हैं। होटल में 7500 रुपये तक के कमरे पर लगने वाला टैक्स भी घट सकता है।
28% स्लैब में बदलाव से बड़े घरेलू उपकरण जैसे एसी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन की कीमतें कम हो जाएंगी। सबसे बड़ा फायदा छोटी कार खरीदने वालों को होगा क्योंकि टैक्स घटने पर 1000 सीसी से कम इंजन और चार मीटर तक की कारें 35 से 40 हजार रुपये तक सस्ती हो सकती हैं। उम्मीद है कि इससे कारों की बिक्री में 15 से 20 प्रतिशत तक का उछाल आएगा।

सरकार एक नया 40% जीएसटी स्लैब लाने की तैयारी भी कर रही है जिसमें एसयूवी, लक्जरी कारें और तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला जैसी हानिकारक वस्तुएं शामिल होंगी। इससे जहां आम उपभोक्ता को राहत मिलेगी, वहीं महंगे और लक्जरी सामान पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा।
इन बदलावों से न सिर्फ आम आदमी बल्कि मिडिल क्लास, किसान, महिलाएं और कारोबारी सभी को फायदा मिलेगा। टैक्स दरें घटने से खपत और मांग बढ़ेगी, निवेश को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
वित्त मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त 2025 में कुल जीएसटी कलेक्शन 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल अगस्त की तुलना में 6.5 प्रतिशत ज्यादा है। सबसे ज्यादा 67 प्रतिशत कलेक्शन 18% स्लैब से आता है, जबकि 28% स्लैब का योगदान 11 प्रतिशत है। 5% स्लैब से 7 प्रतिशत और 12% स्लैब से सिर्फ 5 प्रतिशत ही राजस्व मिलता है।
जीएसटी लागू हुए आठ साल पूरे हो चुके हैं और इस दौरान टैक्स बेस भी दोगुना से ज्यादा बढ़ा है। 2017-18 में जीएसटी रिटर्न भरने वालों की संख्या 66 लाख थी, जो 2024-25 में बढ़कर 1.51 करोड़ हो गई है। यही वजह है कि सरकार अब ढांचे को और सरल और कारगर बनाने पर जोर दे रही है।
प्रधानमंत्री मोदी पहले ही स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा कर चुके हैं कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लाए जाएंगे ताकि आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम हो सके। वित्त मंत्रालय का मानना है कि ये सुधार स्ट्रक्चरल बदलाव, दरों का तार्किकरण और कारोबार को आसान बनाने पर केंद्रित होंगे। एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि अल्पकाल में सरकार को हर महीने करीब पांच हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय में अर्थव्यवस्था और खपत दोनों को बड़ा फायदा होगा।