Dhanbad : धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। सबूत के अभाव में कोर्ट ने संजीव सिंह समेत सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया है।
8 वर्ष बाद नीरज सिंह मामले में आया फैसला
पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में कोर्ट आज अपना फैसला सुनाया। यह फैसला आठ साल, पांच महीने और पांच दिन बाद आया है। इस फैसले का सभी को बेसब्री से इंतजार था क्योंकि इसमें शामिल 11 आरोपियों में से 10 के भविष्य का फैसला होना था।
जिला और सत्र न्यायाधीश 16 सह विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट दुर्गेश चंद्र अवस्थी की अदालत में इस केस की सुनवाई हुई।
इन-इन लोगों पर है हत्या का आरोप
नीरज सिंह हत्या मामले में झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह, जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, डब्लू मिश्रा, विनोद सिंह, सागर सिंह उर्फ शिबू, चंदन सिंह, कुर्बान अली, पंकज सिंह, रणधीर धनंजय उर्फ धनजी के खिलाप आरोप था।
अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए तीन आरोपी
इन आरोपियों में से तीन आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं, जबकि सात आरोपी जमानत पर बाहर हैं। न्यायिक हिरासत में बंद आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सभी आरोपियों को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था। केस में अभियोजन और बचाव पक्ष की गवाही, साक्ष्य के साथ अंतिम बहस के लिए कुल 408 तिथियां तय की गईं। 13 अगस्त 2025 को आखिरी बहस हुई थी।
सुरक्षा व्यवस्था की कड़ी निगरानी
नीरज सिंह हत्याकांड के फैसले को लेकर कोर्ट परिसर में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे। रणधीर वर्मा चौक से डीआरएम चौक तक निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी थी। एसएसपी खुद जायजा ले रहे थे।
सिंह मेंशन, रघुकुल और झरिया में सुरक्षाकर्मी मुस्तैद
पुलिस ने सिंह मेंशन और रघुकुल के अलावा झरिया में दोनों पक्षों के कार्यालयों पर भी पुलिस की तैनाती की गयी थी। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर पुलिस की गश्त बढ़ाई गई था और वाहनों की जांच भी की जा रही था।
2017 में सरेशाम हुई थी नीरज की हत्या
यह हत्याकांड 21 मार्च 2017 को हुआ था, जब नीरज सिंह, चंद्रप्रकाश महतो, अशोक यादव और मुन्ना तिवारी को सरेशाम स्टीलगेट में गोलियों से मौत के घाट उतार दिया गया था। नीरज के भाई अभिषेक सिंह ने इस मामले में विधायक संजीव सिंह, जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, गया सिंह, महंत पांडेय और सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह को आरोपी बनाया था। बाद में अन्य आरोपियों के नाम भी इस हत्याकांड में जुड़े और गिरफ्तारियां हुईं।
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