Patna : बिहार इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है, जिसके चलते राज्य में बिजली की खपत ने नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है। शनिवार रात 9:07 बजे राज्य में बिजली की खपत 8560 मेगावाट तक पहुंच गई, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है। इसमें दक्षिण बिहार में 4393 मेगावाट और उत्तर बिहार में 4167 मेगावाट की खपत दर्ज की गई। इससे पहले 12 जून 2025 को 8428 मेगावाट की खपत दर्ज की गई थी, जो अब पीछे छूट चुकी है।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार भीषण गर्मी के कारण एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों का अत्यधिक उपयोग बिजली की मांग में लगातार इजाफा कर रहा है। इस साल बिजली खपत के 9000 मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है।
20 साल में 12 गुना बढ़ी बिजली की मांग
पिछले दो दशकों में बिहार में बिजली की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वर्ष 2005 में जहां राज्य में केवल 700 मेगावाट बिजली की खपत होती थी, वहीं 2012 में यह आंकड़ा 1751 मेगावाट और 2014 में 2831 मेगावाट तक पहुंचा। अब 2025 में यह 8560 मेगावाट तक जा पहुंचा है, जो 20 साल में करीब 12 गुना की वृद्धि को दर्शाता है।
उपभोक्ताओं की संख्या में भी इजाफा
बिजली उपभोक्ताओं की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 2005 में जहां उपभोक्ता लाखों में थे, वहीं अब यह संख्या 2.15 करोड़ से अधिक हो चुकी है। इसके साथ ही प्रति व्यक्ति बिजली खपत में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2005 में प्रति व्यक्ति औसत खपत 75 किलोवाट थी, जो 2025 में बढ़कर 363 किलोवाट हो गई है, जो 5 गुना से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है।
लोड मैनेजमेंट और ग्रिड संतुलन की चुनौती
बिजली वितरण कंपनियों का कहना है कि गर्मी के मौसम में लोड मैनेजमेंट और ग्रिड संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि, विभाग ने पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की हैं। ग्रिड स्तर पर निगरानी को और सख्त किया गया है ताकि ट्रिपिंग या ओवरलोडिंग जैसी समस्याओं से बचा जा सके।
विकास के साथ बढ़ी जिम्मेदारी
बिहार में बिजली की मांग में यह वृद्धि राज्य के बुनियादी ढांचे, शहरीकरण और जीवन स्तर में सुधार को दर्शाती है। लेकिन इसके साथ ही यह सरकार और बिजली कंपनियों के सामने नई चुनौतियां भी लाता है, जैसे सतत आपूर्ति, अक्षय ऊर्जा की ओर ध्यान और स्मार्ट ग्रिड तकनीकों का उपयोग। ऊर्जा विभाग अब इन दिशाओं में तेजी से काम कर रहा है ताकि भविष्य की मांग को पूरा किया जा सके।
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