Patna : एम्स पटना में चयनित दो डॉक्टरों कुमार सिद्धार्थ और कुमार हर्षित राज पर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने का आरोप लगा है। इस मामले में CBI ने दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
क्या हैं आरोप?
- डॉ. कुमार सिद्धार्थ पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी ओबीसी नॉन क्रीम लेयर सर्टिफिकेट के जरिए एम्स पटना के फिजियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर का पद हासिल किया।
- डॉ. कुमार हर्षित राज पर आरोप है कि उन्होंने ईडब्ल्यूएस कोटे की सीट को सामान्य श्रेणी (UR) में बदलवाकर ट्यूटर/डेमॉन्स्ट्रेटर की नौकरी पाई।
हर्षित राज का पारिवारिक संबंध
हर्षित राज, एम्स पटना में बाल शल्य चिकित्सा विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. बिंदे कुमार के पुत्र हैं। डॉ. बिंदे फिलहाल आईजीआईएमएस के निदेशक और बिहार चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति हैं।
CBI की जांच
CBI ने आईपीसी की धाराएं 420, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया है। मामले की जांच CBI एंटी करप्शन ब्यूरो के डिप्टी एसपी सुरेंद्र देपावत को सौंपी गई है।
CBI ने एम्स प्रशासन से डॉ. बिंदे कुमार और रेडियोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. प्रेम कुमार की सर्विस बुक की प्रमाणित कॉपी मांगी है। यह दस्तावेज 22 अगस्त को सीबीआई कार्यालय में प्रस्तुत किए जाएंगे। साथ ही, संबंधित अधिकारी का बयान भी रिकॉर्ड किया जाएगा।
शिकायत कब हुई?
इस मामले में दानापुर के अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार ने दिसंबर 2024 में CBI को शिकायत दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि जून से सितंबर 2023 के बीच फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एम्स में भर्तियां हुईं। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में प्रमाणपत्रों के फर्जी होने की पुष्टि हुई है।
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