Ranchi : झारखंड विधानसभा में उठाए गए स्वर्णरेखा परियोजना से जुड़े 22 करोड़ के घोटाले के मामले में 70 दिनों बाद कार्रवाई हुई है। वित्त विभाग ने जांच के बाद दोषी पाए गए तीन कोषागार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।यह मामला 12 मार्च को कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव द्वारा विधानसभा में उठाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि रांची प्रमंडल से जुड़ी स्वर्णरेखा परियोजना में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। सदन में इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ओर से बहस हुई और सभी ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
प्रभारी मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सदन में भरोसा दिलाया था कि जांच कर जल्द कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इसके बाद किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई, जिससे सवाल उठने लगे। 19 मार्च को एक बार फिर प्रदीप यादव ने यह मामला सदन में उठाया और कार्रवाई की जानकारी मांगी। उस समय मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बताया कि तीनों दोषियों को सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं हुआ था।
मीडिया रिपोर्टिंग और दबाव के बाद 27 मई को कार्रवाई
इस मुद्दे पर न्यूज विंग ने 2 मई को खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद 27 मई को देर शाम तीनों अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया।
विभागीय जांच में दोषी पाए गए तीनों अधिकारी हैं:
- मनोज सिन्हा (दो अधिकारी इसी नाम के)
- सुनिल कुमार सिन्हा
सूत्रों के अनुसार, इन तीनों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की शुरुआत कर दी गई है। इस मामले में देरी से हुई कार्रवाई पर विपक्ष सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पर लगातार सवाल उठा रहा है।
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