खाता नंबर एक, एग्रीमेंट एक और कार्यवाही सिर्फ एक पर आखिर क्यों?

सरायकेला:  खरसावां जिला के गम्हरिया सीओ इन दिनों सुर्खियों में है। हों भी क्यों नहीं, हालिया ट्रांसफर पोस्टिंग में भी उनका नाम नहीं आना यह साबित करता है कि उनकी पहुंच ऊपर तक है और उन्हें ऊपरवाले का संरक्षण प्राप्त है। आपको बता दें कि समूचे गम्हरिया प्रखंड में करीब 20 एकड़ से भी अधिक सरकारी भूमि का औने-पौने दामों में बंदरबांट किया गया है। जिसमें भूमाफिया-अधिकारी और सफेदपोश मालामाल हो रहे हैं। मगर सवाल यह उठ रहा है कि कार्रवाई कुछ चुनिंदा लोगों पर ही क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं कि नजराना बाबुओं तक नहीं पहुंचने का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ रहा है? यदि ऐसा नहीं है तो मंगलवार को हुई कार्रवाई को किस लिहाज से देखा जाए? आपको बता दें कि मंगलवार को गम्हरिया अंचल प्रशासन ने मोक्ष अपार्टमेंट के समीप अनाबाद बिहार सरकार के जमीन पर अतिक्रमण कर रहे चुलबुल पांडे के निर्माण कार्य को अवैध बताते हुए जमींदोज कर दिया था। उसके बाद से ही अंचल प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि जिस जमीन पर अवैध निर्माण कार्य बता कार्रवाई की गई है, उसका खाता नम्बर  297 है। जिसके अंतर्गत प्लॉट नम्बर 13, 18, 20, 27, 63, 64, 181, 196, 197, 260, 202, 203, 214, 215 और 256 आता है। जो बिहार सरकार अब झारखंड सरकार की संपत्ति है। इसकी खरीद- बिक्री लगभग समाप्त हो चुकी है। लोग अपने-अपने हिसाब से निर्माण कार्य भी करा रहे हैं।

फर्जी एग्रीमेंट के आधार पर जमीन का खेल

बता दें कि ऐसा एक दिन में नहीं हुआ है। सालों से यहां फर्जी एग्रीमेंट के आधार पर जमीन का खेल चल रहा है। मंगलवार को इसी खाता के एक टुकड़े पर हो रहे निर्माण कार्य के खिलाफ कार्रवाई करते हुए ध्वस्त कर दिया गया, जबकि आसपास के अवैध निर्माण को छोड़ दिया गया, आखिर क्यों ?

सीओ और सीआई पर पैसे मांगने का आरोप

पीड़ित चुलबुल पांडे ने बताया कि उन्होंने हेमचंद्र महतो की बेटी से उक्त जमीन को खरीदा था, यहां सारे प्लॉट उन्होंने ही ने बेचे हैं। मैं यहां 2016 से रह रहा था। यहां बिजली का सरकारी मीटर लगा है, नगर निगम को बाकायदा होल्डिंग टैक्स चुका रहा हूं, बोरिंग कराया है, बावजूद इसके बगैर किसी पूर्व सूचना के नए निर्माण के साथ पुराने निर्माण को भी तोड़ दिया गया। उन्हें अपने सामानों को निकालने तक का मौका नहीं दिया गया, जिससे उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है। उन्होंने सीओ और सीआई पर पैसे मांगने का भी आरोप लगाया है। इसपर हमारे प्रतिनिधि ने सीओ से उनका पक्ष जानने के लिए फोन लगाया, मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया।

सवाल यह उठता है कि आखिर ऊपर से किसका आदेश था? उपरवाले को एक ही निर्माण अवैध क्यों नजर आया? चुलबुल पांडे ने ऊपरवाले से इंसाफ की गुहार लगाई है। आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि ऊपरवाले इस मामले में कितनी ईमानदारी दिखाते हैं।