Johar Live Desk : ब्रिटेन में एक सांसद ने तकनीक के क्षेत्र में एक अनोखा कदम उठाया है। सांसद मार्क सेवार्ड्स ने जनता से सीधे जुड़ने के लिए अपना एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वर्जन तैयार किया है, जिसे ब्रिटेन का पहला ‘वर्चुअल सांसद’ कहा जा रहा है। यह AI चैटबॉट सांसद की आवाज में लोगों के सवालों का जवाब देता है, सलाह देता है और उनकी समस्याओं को नोट कर सांसद की टीम तक पहुंचाता है।
Leeds South West and Morley MP @MarkJSewards announced this week that he’d worked with a local start-up to create a prototype AI version of himself to answer constituents’ questions/deal with case work.
I’m not a constituent but thought I’d give AI Mark Sewards a call 📲
1/2 pic.twitter.com/QnhUY3kwdV
— Rob Parsons (@RobParsonsNorth) August 8, 2025
क्यों बनाया गया यह AI?
मार्क सेवार्ड्स का कहना है कि इस तकनीक का उद्देश्य जनता और सांसद के बीच के रिश्ते को और मजबूत करना है। ‘AI मार्क’ नाम का यह चैटबॉट साल के 365 दिन, 24 घंटे लोगों की मदद के लिए उपलब्ध रहेगा। सेवार्ड्स ने कहा, “AI की क्रांति हो रही है और हमें इसे अपनाना होगा, वरना हम पीछे रह जाएंगे।” उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे इस चैटबॉट को एक बार आजमाकर देखें। उनका मानना है कि अगर यह सिस्टम बिना गलत जानकारी दिए लोगों की मदद कर पाए, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। यह AI सभी बातचीत को रिकॉर्ड भी करता है, ताकि सांसद की टीम क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों को समझ सके।
आलोचनाओं का दौर शुरू
हालांकि, इस नई तकनीक को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक जनता और सांसद के बीच की दूरी को कम करने के बजाय बढ़ा सकती है।
‘You think you’d put in a system prompt to just say yes…’
Tom Harwood reacts to Mark Sewards MP’s AI bot which seems unable to say whether it thinks Sir Keir Starmer is a good Prime Minister. pic.twitter.com/wHk3HTcugN
— GB News (@GBNEWS) August 7, 2025
- जुड़ाव में कमी का खतरा : डेटा और AI विशेषज्ञ डॉ. सूसन ओमान ने चेतावनी दी कि सांसदों के इस तरह की तकनीक पर निर्भर होने से जनता से उनका भावनात्मक जुड़ाव कम हो सकता है। इससे लोगों को लग सकता है कि उनकी बात सुनी नहीं जा रही।
- बुजुर्गों के लिए परेशानी : डॉ. ओमान ने यह भी कहा कि बुजुर्ग लोग यह समझ ही नहीं पाएंगे कि वे किसी बॉट से बात कर रहे हैं या असली इंसान से, जिससे वे भ्रमित हो सकते हैं।
- भावनात्मक समस्याओं का समाधान? : विशेषज्ञ विक्टोरिया हनीमैन ने चिंता जताई कि गंभीर या भावनात्मक समस्याओं (जैसे घरेलू हिंसा या मानसिक स्वास्थ्य) से जूझ रहे लोगों को बॉट से बात करने पर और दुख हो सकता है।
- गलतियों की आशंका : हनीमैन ने यह भी कहा कि चैटबॉट्स भी गलतियां कर सकते हैं, जिससे सांसद पर लोगों का भरोसा कम हो सकता है।
आगे की राह
फिलहाल यह AI सिस्टम एक प्रोटोटाइप है, और इसमें जरूरत के हिसाब से सुधार किए जाएंगे। विक्टोरिया हनीमैन का कहना है कि दुनिया बदल रही है, और इस प्रयोग की सफलता को देखना होगा। अगर सही दिशा में सुधार किए गए, तो यह सिस्टम भविष्य में प्रभावी साबित हो सकता है।
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