Johar Live Desk : आंखों का स्वास्थ्य हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है। स्वस्थ आंखों के लिए पौष्टिक आहार, पर्याप्त आराम और साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। हम सभी ने बचपन से सुना है कि गाजर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि गाजर के अलावा भी कई सब्जियां आंखों के लिए फायदेमंद हैं। आइए जानते हैं ऐसी 6 सब्जियों के बारे में जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करती हैं।
- पालक : पालक में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो हानिकारक पराबैंगनी किरणों और नीली रोशनी से आंखों को बचाते हैं। 2013 में एनसीबीआई जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 4 सप्ताह तक पालक और केल का अधिक सेवन करने से मैक्युलर पिगमेंट ऑप्टिकल घनत्व में 4-5% की वृद्धि हुई। यह मोतियाबिंद और मैक्युलर डिजनरेशन को रोकने में मदद करता है।
- शकरकंद : शकरकंद विटामिन ए और बीटा-कैरोटीन का शानदार स्रोत है। यह कॉर्निया के स्वास्थ्य को बनाए रखता है और रात में देखने की क्षमता को बेहतर करता है। विशेषज्ञ रोजाना एक मध्यम आकार का शकरकंद खाने की सलाह देते हैं।
- ब्रोकली : ब्रोकली में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। यह रेटिना के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है और ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाती है। हफ्ते में 3-4 बार आधा कप उबली ब्रोकली खाने की सलाह दी जाती है।
- गाजर : गाजर में बीटा-कैरोटीन होता है, जो शरीर में विटामिन ए में बदलता है। यह आंखों के संक्रमण को कम करता है और आंखों को नम रखता है। 1999 में एनसीबीआई के एक अध्ययन में कहा गया कि गाजर रतौंधी से बचाव में मदद करती है। आप रोज एक गाजर कच्ची या पकाकर खा सकते हैं।
- शिमला मिर्च : लाल शिमला मिर्च विटामिन सी से भरपूर होती है, जो आंखों की रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखती है और मोतियाबिंद का खतरा कम करती है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है।
- टमाटर : टमाटर में लाइकोपीन, विटामिन सी और विटामिन ए होता है। लाइकोपीन रेटिना की रक्षा करता है और उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन का जोखिम कम करता है। यह समग्र आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
विशेषज्ञों की सलाह
आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए इन सब्जियों को अपने रोजाना के आहार में शामिल करें। साथ ही, नियमित आंखों की जांच और स्वच्छता का ध्यान रखें।
Disclaimer : यह जानकारी वैज्ञानिक अध्ययनों और विशेषज्ञ सलाह पर आधारित है। इसे लागू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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