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    Home»जोहार ब्रेकिंग»सोशल साइट पर सरयू को मिल रहा समर्थन, लेकिन कैडरों का मन बदलना आसान नहीं
    जोहार ब्रेकिंग

    सोशल साइट पर सरयू को मिल रहा समर्थन, लेकिन कैडरों का मन बदलना आसान नहीं

    Team JoharBy Team JoharDecember 5, 2019No Comments4 Mins Read
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    विवेक आर्यन

    रांची। जमशेदपुर पूर्वी सीट पर राज्य भर की निगाहें हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ बगावत कर चुनाव लड़ रहे सरयू राय को सोशल साइट्स पर जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास के गढ़ कहे जाने वाले पूर्वी जमशेदपुर में जीत के लिए सरयू राय की राह कठिन है। जमशेदपुर पूर्वी इलाके में रहने वाले लोगों के बीच चर्चा है कि रघुवर दास बीते तीन दशकों से उनके सुख दुख के साथी रहे हैं।

    जबकि सरयू राय टिकट कटने के बाद भाजपा से बगावत कर हफ्ते भर पहले जमशेदपुर पूर्वी आए हैं। जमशेदपुर पूर्वी में आने के बाद जातिगत संगठनों के समर्थन से राय भाजपा के किले को ध्वस्त करने में जुटे हैं। सरयू को बिहार के लोगों का भी समर्थन मिल रहा है। राज्य के अलग अलग हिस्सों से भी लोग सरयू के समर्थन में पहुंचे हैं। लेकिन स्थानीय वोटरों को तोड़ कर अपने पाले लाना सरयू की चुनौती है।

    सीएम भी कह चुके हैं जमशेदपुर पूर्वी भाजपा का, रघुवर का नहीं

    जमशेदपुर पूर्वी में चुनाव प्रचार के दौरान रघुवर दास ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत की थी। रघुवर दास ने बातचीत के दौरान सरयू राय के संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा था कि जमशेदपुर पूर्वी सीट उनकी नहीं है। यह सीट भाजपा के कार्यकर्ताओं की है। रघुवर दास ने कहा था कि साल 1995 में भाजपा ने उन्हें तब टिकट दिया था जब वह मामूली मजदूर थे। भाजपा में उनका ओहदा महज एक जिला महामंत्री का था।

    मुख्यमंत्री ने अपनी बातचीत में स्पष्ट किया कि जमशेदपुर पूर्वी में ही नहीं बल्कि राज्य भर में जहां कहीं भी भाजपा चुनाव लड़ रही है वहां भाजपा कार्यकर्ताओं की पूरी निष्ठा पार्टी के प्रति है। 3 दिसंबर को जमशेदपुर के गोपाल मैदान में अपनी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया था की मोदी भी कमल के साथ हैं जो कमल के साथ हैं वहीं मोदी के साथ हैं। ऐसे में जाहिर है की भाजपा कार्यकर्ताओं की निष्ठा तोड़ना सरयू राय के लिए आसान नहीं होगा।

    कैसे कार्यकर्ता पड़े हैं बागियों पर भारी

    • जमशेदपुर पूर्वी भाजपा की पारंपरिक सीट है। 1995 में चार बार के विधायक रहे दीनानाथ पांडेय का टिकट काट दिया गया था। तब भी दीनानाथ पांडेय बागी होकर चुनाव लड़े थे। उस व़क्त दीनानाथ पांडेय की जमानत जब्त हो गयी थी। तब रघुवर दास के सामने कई बड़े दिग्गज भी थे, लेकिन वह चुनाव जीत गए थे।
    • -2005 में भाजपा के दिग्गज नेता मृगेंद्र प्रताप सिंह का टिकट जमशेदपुर पश्चिमी से काट सरयू राय को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। तब राय पहली बार चुनाव लड़े थे, यहां उन्हें जीत मिली थी। जबकि राजद का दामन थाम चुनाव लड़ रहे मृगेंद्र बाबू अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे।
    • -मुख्यमंत्री बनने के बाद भी रघुवर दास ने ख़ुद को जमशेदपुर से अलग नहीं किया। हर महीना दो- तीन बार वहां ज़रूर जाते थे। जबकि सरयू राय का जमशेदपुर पूर्वी से पुराना कोई सरोकार नहीं रहा है।
    • -कड़क प्रशासक के साथ नरम स्वभाव के शख्स के तौर पर दास की पहचान इस इलाके में रही है। क्षेत्र की जनता से वो लगातार सम्पर्क में रहते है। जिस वजह से उनकी लोकप्रियता है।
    • -ख़ुद और अपनी जनता के बीच कभी किसी को आने नहीं दिया। जनता से वो सीधे संवाद करते हैं।
    • छठ पूजा के आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री अपने क्षेत्र में काफ़ी लोकप्रिय है। सारा आयोजन ख़ुद करते है।
    • -अपने अधिकांश वोटर को नाम से जानते है। ग़रीब बस्तियों में काफ़ी लोकप्रिय हैं
    • अपनी सादगी के लिए काफ़ी र्चिचत हैं। आज भी एक छोटे से घर में रहते हैं जो टाटा कंपनी की है। दो कमरे का घर हैं।
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