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    Home»धर्म/ज्योतिष»छठ के बाद छह मासिक सूर्योपासना व्रत की शुरुआत, आज पहला रविवार
    धर्म/ज्योतिष

    छठ के बाद छह मासिक सूर्योपासना व्रत की शुरुआत, आज पहला रविवार

    Kajal KumariBy Kajal KumariNovember 23, 2025No Comments2 Mins Read
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    छठ
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    Johar Live Desk : छठ महापर्व के बाद होने वाला छह मासिक रविवार का सूर्योपासना व्रत आज से शुरू हो गया। इस बार अग्रहण शुक्ल तृतीया पर मूल नक्षत्र, धृति योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग का शुभ संयोग बन रहा है। शनिवार को सुकर्मा योग में इस व्रत का नहाय-खाय संपन्न हुआ। देवोत्थान एकादशी और सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश के बाद शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से इस व्रत की शुरुआत होती है। संतान की सलामती और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं यह व्रत करती हैं। इसकी महत्ता छठ पर्व के समान मानी जाती है।

    छठ की तरह ही इस व्रत में भी महिलाएं एक दिन पहले नहाय-खाय करती हैं। अगले दिन व्रतधारी महिलाएं पवित्रता के साथ ठेकुआ, सोहारी, खीर, पूड़ी समेत कई पारंपरिक पकवान तैयार करती हैं। बांस की टोकरी (डाला) में ऋतुफल, पकवान, पान-सुपारी, फूल-माला, बंधी-माला, मौली, धूप-दीप, अरिपन और सिंदूर रखा जाता है। घर के खुले आंगन, छत या बालकनी में सूर्यदेव की पूजा कर अर्घ्य दिया जाता है और संतान तथा परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इसी के साथ महिलाएं छह महीने तक चलने वाले इस महाव्रत का संकल्प लेती हैं।

    सूर्योपासना में रवि व्रत का विशेष महत्व

    आचार्य राकेश झा ने बताया कि रविवार व्रत की महत्ता भी छठ की तरह ही है। इस व्रत से चर्म रोग, रक्त विकार से मुक्ति और संतान से जुड़ी मनोकामनाएं पूर्ण होने का विश्वास है। सूर्योपासना में रविवार का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। व्रती महिलाएं गंगा स्नान करती हैं या घर के स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर भगवान भास्कर को अर्घ्य देती हैं।

    उन्होंने बताया कि छठ व्रत कर चुकी महिलाएं या संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं यह व्रत करती हैं। रविवार को सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रती एक बार ही खीर, फल आदि प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं। यह व्रत अगहन से शुरू होकर छह महीने बाद वैशाख में समाप्त होता है।

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    After Chhath the six-month Surya Pooja fast begins; today is the first Sunday. आज पहला रविवार छठ के बाद छह मासिक सूर्योपासना व्रत की शुरुआत
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