Ranchi : झारखंड में आने वाले वर्षों में बिजली की मांग तेजी से बढ़ने वाली है। इसी को ध्यान में रखते हुए झारखंड ट्रांसमिशन निगम ने वर्ष 2035 तक की जरूरतों को देखते हुए इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन रिसोर्स एडिक्वेसी प्लान तैयार किया है। यह प्रस्ताव केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) को भेज दिया गया है।
कितनी बिजली की जरूरत होगी?
प्लान के अनुसार, झारखंड को वर्ष 2034-35 तक कुल 16,250 मेगावाट अतिरिक्त बिजली ट्रांसमिशन क्षमता की जरूरत होगी।
कैसे बढ़ेगी ट्रांसमिशन क्षमता?
- 2026-27: 480 मेगावाट क्षमता बढ़ाई जाएगी और 324 सर्किट किमी नई ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी जाएगी।
- 2027-28: 1440 मेगावाट क्षमता वृद्धि का लक्ष्य।
- 2028-29: 2300 मेगावाट और क्षमता बढ़ाई जाएगी।
- 2030-31: लगभग 114.5 सर्किट किमी पुराने नेटवर्क को अपग्रेड किया जाएगा।
- 2034-35 (अंतिम चरण): 320 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता और 150 सर्किट किमी नई लाइनें जोड़ी जाएंगी।
- इन वर्षों में 400 केवी और 220 केवी स्तर पर नेटवर्क का बड़े पैमाने पर विस्तार होगा।
वर्तमान स्थिति
- फिलहाल झारखंड में 3212.95 मेगावाट बिजली ट्रांसमिशन क्षमता उपलब्ध है।
- राज्य में 132 केवी, 220 केवी और 400 केवी स्तर की कुल 4309 सर्किट किमी ट्रांसमिशन लाइनें मौजूद हैं।
सीईए ने बढ़ती मांग को देखते हुए नई लाइनों के निर्माण, पुरानी लाइनों के अपग्रेडेशन और सब-स्टेशनों की क्षमता बढ़ाने की सलाह दी है।

कुल कितना काम होगा और खर्च कितना आएगा?
- नई ट्रांसमिशन लाइनें: 3476.10 सर्किट किमी
- मौजूदा नेटवर्क की रीकंडक्टिंग: 172.1 सर्किट किमी
- कुल अनुमानित खर्च: 7021.5 करोड़ रुपये
सीईए से इस प्लान को मंजूरी मिलना राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि इससे आने वाले वर्षों में बढ़ती बिजली मांग को पूरा करना आसान होगा।
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