Ranchi : रांची यूनिवर्सिटी (आरयू) से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय के पास अपने अधीनस्थ कॉलेजों का परीक्षा रिकॉर्ड, यानी टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर शीट), सुरक्षित नहीं है। यह मामला राज्य के प्रीमियर कॉलेज रांची कॉलेज (अब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी) से जुड़ा है।
इस लापरवाही का खामियाजा पुरुषोत्तम कुमार, जैसे प्रतिभाशाली छात्र को भुगतना पड़ रहा है। सिमडेगा के रहने वाले पुरुषोत्तम का चयन लंदन फिल्म स्कूल में फिल्म मेकिंग कोर्स के लिए हुआ है। एडमिशन प्रक्रिया पूरी करने के लिए उन्हें अपनी स्नातक की ट्रांसक्रिप्ट (आधिकारिक अंक प्रमाणपत्र) की आवश्यकता है, लेकिन रांची यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग ने कहा कि 2013-16 सत्र का टीआर रिकॉर्ड उनके पास उपलब्ध नहीं है।
अब पुरुषोत्तम पिछले 25 दिनों से यूनिवर्सिटी और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं। बिना ट्रांसक्रिप्ट के उनका एडमिशन अटका हुआ है। लंदन फिल्म स्कूल ने पहले ही 310 पाउंड (लगभग 30 हजार रुपये) वेरिफिकेशन शुल्क के रूप में ले लिया है, लेकिन दस्तावेज़ जमा न होने से आगे की प्रक्रिया रुकी पड़ी है।

पुरुषोत्तम ने 2013-16 में रांची कॉलेज से रसायनशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। उनकी कई शॉर्ट फिल्में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही जा चुकी हैं, और उनकी फीचर फिल्म ‘दहलीज’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। सरकार उनके लंदन प्रवास और पढ़ाई का पूरा खर्च, करीब एक करोड़ रुपये, उठाने वाली है।
इस घटना ने रांची यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बड़ा सवाल यह है कि जब डिग्री दी जा चुकी है, तो उसके मूल रिकॉर्ड विश्वविद्यालय के पास क्यों नहीं हैं?
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि पहले कॉलेज से संबंधित रिकॉर्ड मंगाया जाए, तब ट्रांसक्रिप्ट जारी किया जाएगा। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटोनॉमस कॉलेजों के परीक्षा रिकॉर्ड का विश्वविद्यालय में संरक्षित न रहना एक बड़ी प्रशासनिक खामी है, जिसका असर अब छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है।

