Gumla : चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने की घटना के बाद झारखंड के सभी ब्लड बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। खून की जांच और उसकी गुणवत्ता को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आई हैं।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह ने रैपिड किट से खून की जांच पर रोक लगाते हुए कहा है कि जिन जिलों में एलाइजा (ELISA) मशीन नहीं है, वहां ब्लड बैंक अस्थायी रूप से बंद किए जाएं और जल्द मशीन की खरीदारी की जाए।
इस आदेश के बाद गुमला जिले के ब्लड बैंक में रखे 206 यूनिट खून को जांच के लिए रांची भेजा गया है। वहीं जामताड़ा से 39 यूनिट खून धनबाद भेजा गया। इन जिलों में ब्लड बैंक बंद होने से मरीजों और उनके परिजनों की परेशानी बढ़ गई है।

गुमला की निर्मला देवी, जिन्होंने हाल ही में बेटे को जन्म दिया, को खून की जरूरत थी, लेकिन ब्लड बैंक बंद होने से उन्हें खून नहीं मिल सका। उनके पिता बंधु साहू ने बताया कि “अगर खून नहीं मिला तो बेटी की जान खतरे में पड़ सकती है।”
राज्य में कुल 82 ब्लड बैंक हैं, जिनमें से 45 बिना लाइसेंस के चल रहे हैं। कई जिलों में जांच की सुविधा सीमित होने के कारण मरीजों को खून के लिए निजी ब्लड बैंकों का रुख करना पड़ रहा है, जहां पैसों की वसूली की जा रही है।
गुमला, लोहरदगा, जामताड़ा और अन्य जिलों में जहां केवल एक ही ब्लड बैंक है, वहां की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है। थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों को भी बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग का निर्देश
- रैपिड किट से जांच बंद
- जिन जिलों में एलाइजा मशीन नहीं है, वहां ब्लड बैंक बंद करें
- आसपास के जिलों में खून की जांच कराएं
फिलहाल गुमला सहित कई जिलों में ब्लड बैंक बंद होने से मरीजों के इलाज में बड़ी बाधा उत्पन्न हो गई है।
Also Read : सऊदी अरब में झारखंड के विजय कुमार महतो की मौ’त, जल्द लौट सकती है बॉडी

